जब भी लोग सीरत देखा करते हैं
संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’
222 1222 2222
जब भी लोग सीरत देखा करते हैं
अपनी सब ज़रूरत देखा करते हैं
मैंने भी अमीरी पाली है दिल में,
जब से आप ग़ुर्बत देखा करते हैं
लगता है उसी को आईना अच्छा,
जिसकी लोग सूरत देखा करते हैं
मेरा देखना उनको भाता कैसे,
हम लोगों ‘की’ नीयत देखा करते हैं
वो भी तो कभी मेरा हमसाया था,
जिसकी आप मूरत देखा करते हैं
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