तेरे सपनों का दौर क्या होता

01-12-2022

तेरे सपनों का दौर क्या होता

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 218, दिसंबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

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तेरे सपनों का दौर क्या होता 
मैं ना होता तो और क्या होता
 
मैंने माना मशहूर तू है पर,
फिर भी लेकिन कर ग़ौर क्या होता
 
सोचो दिल होता गर नहीं मेरा,
तेरे रहने का ठौर क्या होता
 
गर ना होता जो प्रेम इस जग में,
धरती अम्बर का जोड़ क्या होता
 
होती जग में ना बेटियाँ तो फिर,
जग के सृजन का तौर क्या होता
 
कोई बेटा होता नहीं तो फिर,
माँ के आँचल का कोर क्या होता
 
होतीं चमकीली चाँदनी सारी,
चँदा बिन उनका ज़ोर क्या होता
 
अम्बर में उगता जो नहीं सूरज,
फिर ये धरती का भोर क्या होता
 
होता 'बेघर' फिर भी बहुत कुछ पर,
मैं ना होता तो और क्या होता

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