वो रात
रीता तिवारी 'रीत'मैं अपने बचपन के उस घटना को जब भी स्मृति में लाती हूँ अपनी हँसी को रोक नहीं पाती। सर्दियों के दिन थे काफ़ी ठंडी पड़ रही थी। हम पाँचों बहनें अपने घर में, कच्चे मकान में सोए हुए थे। रात के क़रीब 12:00 बजे यह घटना घटी थी।
हमारा घर काफ़ी पुराना था। हमारे घर में दो कमरे थे। एक कमरे में हम पाँचों बहनें और दूसरे कमरे में मम्मी और पापा भाई के साथ सोते थे। उस समय सर्दी का मौसम था और काफ़ी कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। रात के समय 8:00 बजे के बाद अक़्सर बिजली चली जाती थी। घर में अँधेरा छा जाता था। हमारी छोटी बहन जो साँपों से बहुत डरती थी, वह बहुत डरपोक थी। उस रात भी बिजली चली गई थी। ठंडी ज़्यादा होने के कारण हम लोग जल्दी-जल्दी खाना खाकर सोने चले गए। थोड़ी देर तक हम सभी आपस में बातचीत हँसी-मज़ाक करते रहे। फिर सब को नींद आने लगी और हम सो गए। हम काफ़ी गहरी नींद में सो गए थे। रात के 12:00 बजे के आसपास अचानक मेरी छोटी बहन ज़ोर से चिल्लाने लगी।
"अरे! मम्मी मुझे साँप काट लेगा। मुझे बचाओ! मुझे बचाओ! मम्मी मुझे साँप काट लेगा। मुझे बचाओ! मुझे बचाओ!"
इन शब्दों को बार-बार दोहराते हुए ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी। बग़ल में हम लेटे हुए थे। उसकी आवाज़ सुनकर मेरी भी नींद खुल गई और हमें एहसास हुआ कि कोई मेरे ऊपर चल रहा है। आधी नींद में आधी जागृत अवस्था में मुझे लगा कि सच में साँप है और अब उसे छोड़कर मेरे ऊपर आ गया है। अब मुझे काट लेगा, मैं चिल्लाने लगी। "अरे मम्मी साँप काट लेगा। बचाओ! बचाओ!" हम दोनों की आवाज़ सुनकर अन्य तीन बहनें भी चिल्लाने लगीं। हम पाँचों अँधेरे में चिल्लाए जा रहे थे। हमारे चिल्लाने की आवाज़ सुनकर बग़ल के कमरे में लेटे मम्मी-पापा रोशनी लेकर भागे-भागे आए। हम सभी आँख बंद किए साथ-साथ चिल्लाए जा रहे थे। पापा ने हमें झकझोरते हुए कहा, "क्यों चिल्ला रही हो? क्या हुआ?"
उन्हें लगा कि कच्चा मकान बच्चों के ऊपर गिर गया है। इसीलिए सभी एक साथ चिल्ला रहे हैं। हमारी नींद खुल गई। मैंने देखा कुछ भी नहीं है। बिल्ली हमारे ऊपर से भाग रही है। हमारे चिल्लाने की आवाज़ सुनकर कूदकर भागी जा रही थी। मुझे हँसी आ गई। पर मेरी छोटी बहन अभी भी साँप-साँप चिल्लाए जा रही थी। हम सभी जाग गए और उसे झकझोरने ल, "कहाँ साँप है? वह तो बिल्ली थी। ऊपर से कूदी थी। पहले तुम्हारे ऊपर फिर हमारे ऊपर।"
हमारी इस बात पर सभी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। वह भी हँसने लगी। मम्मी-पापा भी हँसने लगे। हमारी तो हँसी नहीं रुक रही थी। मम्मी-पापा सोने चले गए और हम सभी काफ़ी देर तक आपस में बात करते हुए हँसते रहे। उस बात को बीते काफ़ी दिन हो गए। पर जब भी याद करती हूँ, अपनी हँसी रोक नहीं पाती।
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