बारिश की बूँदों की अनकही बातें

01-08-2020

बारिश की बूँदों की अनकही बातें

रीता तिवारी 'रीत' (अंक: 161, अगस्त प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

टप- टप- टप- टप करती बूँदें, 
क्या करती हैं धीरे से। 
जैसे कोई  शून्य निशा में, 
तरुणी आती धीरे से। 


छम-छम पायल सी लगता है, 
बारिश की बूँदों का जल। 
करता मन को तृप्त और, 
शीतलता दे  बूँदों का जल। 


जीवन को यह तृप्त करे और, 
जीवन को तरुणाई दे। 
नाच उठा मनका मयूर, 
जब वर्षा शीतलताई दे। 


मन चंचल हो जाता है, 
जब बारिश की बूँदें पड़तीं।
जीवन हो जाता बसंत, 
जब धारें धरती पर पड़तीं ।


’रीत’ का मन भी हुआ प्रफुल्लित, 
वर्षा के शीतल जल से। 
ख़ुश हो नाच रहा अंतर्मन, 
ऐसे सुंदर से पल से।
 

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