मुसाफ़िर
रीता तिवारी 'रीत'ज़िन्दगी के सफ़र में,
हम सब हैं एक मुसाफ़िर।
बचपन, जवानी, वृद्धावस्था के,
महत्त्वपूर्ण सोपानों को पार करते,
मंज़िल पर आगे बढ़ते जाना
अनवरत चलते जाना,
कुछ खट्टी मीठी यादों को साथ लिए,
कुछ भूली बिसरी बातों को साथ लिए,
अपने सफ़र पर बढ़ते जाना।
हम वह मुसाफ़िर हैं,
जो अपने सफ़र पर आगे बढ़ते हुए,
अपने जीवन के सभी सोपानों पर—
एक नया इतिहास रचते हैं।
अपने पद चिह्नों को छोड़ते हुए,
जीवन की पगडंडी पर
मंज़िल की ओर बढ़ते हैं।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कहानी
- कविता
-
- आशियाना
- आस्था के स्वर
- कजरारे बादल
- चूड़ियाँ
- जन्मदिवस पर कामना
- जीवंत प्रेम
- नशा
- पंछियों से भरा द्वार
- प्यार का एहसास
- प्यारा बचपन
- प्रकृति की सीख
- प्रेम प्रतीक्षा
- फिर आया मधुमास
- बारिश की बूँदों की अनकही बातें
- भारत का यश गान
- मधुर मिलन की आस
- माँ का आँचल
- मुसाफ़िर
- मैं बाँसुरी बन जाऊँ
- यह कैसा जीवन है?
- रिश्ते
- रूढ़ियाँ
- स्त्री की कहानी
- स्त्री है तो जीवन है
- हमारे बुज़ुर्ग हमारी धरोहर
- ज़िंदगी एक किताब है
- गीत-नवगीत
- कविता-मुक्तक
- बाल साहित्य कहानी
- लघुकथा
- स्मृति लेख
- विडियो
-
- ऑडियो
-