मैं बाँसुरी बन जाऊँ

01-05-2022

मैं बाँसुरी बन जाऊँ

रीता तिवारी 'रीत' (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मैं सोचती हूँ मन में, झूला तेरा बनाऊँ। 
ओ साँवरे! कन्हैया, उसमें तुझे झुलाऊँ। 
तुझको निहारूँ हर पल, तेरी प्रीत में रम जाऊँ। 
तुम बाँसुरी बजाओ, मैं गीत गुनगुनाऊँ। 
शृंगार तेरा करके, तुझे ओढ़नी ओढ़ाऊँ। 
राधा के जैसे मैं भी, तेरी प्रीत में खो जाऊँ। 
तेरी नज़र मैं उतारूँ, टीका तुझे लगाऊँ। 
तेरे बाल रूप का मैं, मनोहर छवि निहारूँ। 
तेरा साँवला सलोना- सा रूप मुझको भाए। 
जी चाहता है मेरा, माखन तुझे खिलाऊँ। 
है रीत की तमन्ना, मैं बाँसुरी बन जाऊँ। 
तेरे होठों से लिपट कर, भक्ति की तान गाऊँ। 

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