रीता तिवारी ’रीत’ – मुक्तक – 001
रीता तिवारी 'रीत'1.
चाँद कहने लगा चाँदनी से सुनो!
प्रीत में डूब कर प्यार के रंग बुनो!
रंग बिखरा दो ऐसा ज़मीं पर प्रिये!
हर कली प्यार की धुन जो गाए सुनो!
2.
चाँदनी रात थी झिलमिलाता गगन,
मस्त हो चल रहा था सुहाना पवन,
याद तेरी लहर बनके ऐसी चली . . .
ना झुकी ये पलक जागते थे नयन।
3.
नज़र में तुम नज़र आना कोई दूजा नहीं आए।
बनो दिल की मेरी धड़कन प्यार तुझ पर मुझे आए।
कभी मत भूल जाना तुम सदा रखना यूँ यादों में . . .
प्रीत की रीत ऐसी हो प्यार के रंग भर जाए।
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