कोई ना छल दे! तुझको ऐसी नज़र से तोलो!
रीता तिवारी 'रीत'क्यों करती हो? भरोसा इन पापियों पर बोलो!
कोई ना न छल दे! तुझको ऐसी नज़र से तोलो!
कब थमेगी? यह कहानी जो बनी अभिशाप है!
प्रेम को बदनाम करके कर रहे जो पाप हैं।
संस्कारों को भुलाकर भूलकर परिवार को।
भूल जाते क्यों बताओ? माँ पिता के प्यार को।
ज़िन्दगी के इस सफ़र में यूँ ज़हर ना घोलो!
कोई न छल दे तुझको ऐसी नज़र से तोलो!॥1॥
जन्म देकर के सँवारी है तुम्हारी ज़िन्दगी।
महक जाएगा यह जीवन जब करोगे बंदगी।
स्वर्ग को क्यों छोड़ कर तुम नर्क जाना चाहते।
ज़िन्दगी अनमोल इसको क्यों मिटाना चाहते।
ग़ैर की ख़ातिर कभी माँ बाप को ना भूलो।
कोई ना छल दे तुझको ऐसी नज़र से तोलो॥2॥
प्रेम क्या होता है? पहले ठीक से ए जान लो!
उच्चतम आदर्श राधा कृष्ण को तुम मान लो!
प्रेम करने वाला कोई ना मिटाएगा तुम्हें
“रीत” कहती मर्यादा के साथ चाहेगा तुम्हें।
मर्यादा और त्याग, समर्पण, संस्कार ना भूलो!
कोई ना छल दे तुझको ऐसी नज़र से तोलो!॥3॥
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कहानी
- कविता
-
- आशियाना
- आस्था के स्वर
- कजरारे बादल
- चूड़ियाँ
- जन्मदिवस पर कामना
- जीवंत प्रेम
- नशा
- पंछियों से भरा द्वार
- प्यार का एहसास
- प्यारा बचपन
- प्रकृति की सीख
- प्रेम प्रतीक्षा
- फिर आया मधुमास
- बारिश की बूँदों की अनकही बातें
- भारत का यश गान
- मधुर मिलन की आस
- माँ का आँचल
- मुसाफ़िर
- मैं बाँसुरी बन जाऊँ
- यह कैसा जीवन है?
- रिश्ते
- रूढ़ियाँ
- स्त्री की कहानी
- स्त्री है तो जीवन है
- हमारे बुज़ुर्ग हमारी धरोहर
- ज़िंदगी एक किताब है
- गीत-नवगीत
- कविता-मुक्तक
- बाल साहित्य कहानी
- लघुकथा
- स्मृति लेख
- विडियो
-
- ऑडियो
-