कोई ना छल दे! तुझको ऐसी नज़र से तोलो!

01-12-2022

कोई ना छल दे! तुझको ऐसी नज़र से तोलो!

रीता तिवारी 'रीत' (अंक: 218, दिसंबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

क्यों करती हो? भरोसा इन पापियों पर बोलो! 
कोई ना न छल दे! तुझको ऐसी नज़र से तोलो! 
 
कब थमेगी? यह कहानी जो बनी अभिशाप है! 
प्रेम को बदनाम करके कर रहे जो पाप हैं। 
संस्कारों को भुलाकर भूलकर परिवार को। 
भूल जाते क्यों बताओ? माँ पिता के प्यार को। 
ज़िन्दगी के इस सफ़र में यूँ ज़हर ना घोलो! 
कोई न छल दे तुझको ऐसी नज़र से तोलो!॥1॥
 
जन्म देकर के सँवारी है तुम्हारी ज़िन्दगी। 
महक जाएगा यह जीवन जब करोगे बंदगी। 
स्वर्ग को क्यों छोड़ कर तुम नर्क जाना चाहते। 
ज़िन्दगी अनमोल इसको क्यों मिटाना चाहते। 
ग़ैर की ख़ातिर कभी माँ बाप को ना भूलो। 
कोई ना छल दे तुझको ऐसी नज़र से तोलो॥2॥
 
प्रेम क्या होता है? पहले ठीक से ए जान लो! 
उच्चतम आदर्श राधा कृष्ण को तुम मान लो! 
प्रेम करने वाला कोई ना मिटाएगा तुम्हें
“रीत” कहती मर्यादा के साथ चाहेगा तुम्हें। 
मर्यादा और त्याग, समर्पण, संस्कार ना भूलो! 
 कोई ना छल दे तुझको ऐसी नज़र से तोलो!॥3॥

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