प्रेम प्रतीक्षा

01-02-2021

प्रेम प्रतीक्षा

रीता तिवारी 'रीत' (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

सूख रही हूँ पतझड़ सी,
प्रिय तेरी प्रेम प्रतीक्षा में। 
पथ तेरे रहे निहार नयन, 
अकुलाई प्रेम प्रतीक्षा में।
 
जैसे पपीहे की  हुई दशा,
प्रियतम वियोग में सुनो सखी!
वैसे मेरा मन व्याकुल है,
प्रिय तेरी प्रेम प्रतीक्षा में।
 
मेरे नैनों की कोरों में, 
मोती बन आँसू सूख रहे। 
पथ तेरा व्यथित निहार रही,
प्रिय तेरी प्रेम प्रतीक्षा में। 
 
यह "रीत" प्रीत से विमुख हुई,
प्रियतम वियोग में मन व्याकुल ।
अकुलाई सकुचाई हूँ मैं , 
प्रिय तेरी प्रेम प्रतीक्षा में।
 
आ जाओ अब ना देर करो! 
मुझे  प्रीत की रीत से पूर्ण करो!
तेरे प्रेम में प्यासी  चातक सी,
राह निहारूँ प्रेम प्रतीक्षा में।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी
कविता
गीत-नवगीत
कविता-मुक्तक
बाल साहित्य कहानी
लघुकथा
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में