रूपवती, गुणवती, सुशील और चंचल अदाओं से परिपूर्ण स्नेहा को देखते ही मयंक ने शादी के लिए हाँ कर दी। सारी बातें हो जाने के बाद बात दहेज़ पर आकर अटक गई। मयंक के घर वालों ने शादी में मोटी रक़म के साथ ही गाड़ी की भी माँग स्नेहा के पिताजी से कर दी।
स्नेहा के पिता ने उनकी माँग के अनुसार व्यवस्था कर दी पर फिर भी मयंक के घर वालों का मन ख़ुश नहीं था। शादी के बाद स्नेहा अपने ससुराल चली गई। कुछ दिन तो सब कुछ ठीक रहा पर अचानक उसके ससुराल वालों का व्यवहार उसके प्रति बदलने लगा। उसके ससुराल वाले बात-बात पर उसके साथ अत्याचार करने लगे। पहले तो स्नेहा ने इसका विरोध किया पर जब विरोध ना कर पाई तो धीरे-धीरे उसे अपनी क़िस्मत मान कर मौन सी हो गई।
अब कोई उसके साथ कुछ भी करें वह कोई उत्तर-प्रत्युत्तर नहीं देती। वह अल्हड़, चंचल अदाओं से परिपूर्ण स्नेहा जैसे मर गई हो और उसका पुनर्जन्म हो गया।
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