रे मन

डॉ. परमजीत ओबराय (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मन कर तू चिंतन
सदा सच्चाई और मृत्यु का।
मृत्यु शाश्वत
अन्य सब नश्वर।
देता सभी को एक सा ईश्वर
कर्मोंनुसार बदलता है भाग्य क्षण क्षण।
सबमें उसी का ही अंश बसा
रखकर यह ध्यान
सबसे कर प्रेम व्यवहार
जाएगा जब तू उसके द्वार
तभी दे पायेगा उत्तर
करके आँखें चार।
जिसके जीवन में सदाचार
उसे मिलता है बड़ों का वरदान।
सभी कुकर्मों का छोड़ ध्यान
अपने में भर ले शुभविचार।
जाना है सबको इस जीवन सागर के पार
कर इसका अपने मन में विचार बारंबार।

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