बच्चे

डॉ. परमजीत ओबराय (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

बच्चे हैं नादान—
सदा रखते इनका ध्यान, 
कुम्हार-से गुरु
देते इन्हें आकार-प्रकार। 
अध्ययन के साथ सिखाते इन्हें—
कैसे लें ये अपना जीवन सँवार! 
यही हैं उमंगें—
यही कामनाएँ, 
प्रगति की फलें साधनाएँ। 
नए पथ पर आप
नए पग बढ़ाएँ, 
नए गीत गाएँ
नई जीत पाएँ, 
नया आज इतिहास अपना बनाएँ, 
जहाँ पूर्ण हों—
नई कल्पनाएँ। 
जीवन में आगे बढ़
क़दम आपके सदा जगमगाएँ, 
नित याद रखना—
अपने मात—पिता और गुरु की दिखाई दिशाएँ। 
कामना है जिनकी—
आपका सफलता रूपी पथ, 
चमकता ही जाए। 
बढ़ें आगे आप—
करके संघर्ष कड़ा, 
रहे आपका—
मस्तक सदैव ऊँचा उठा। 

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