इंटरनेट दुकान

15-09-2023

इंटरनेट दुकान

डॉ. परमजीत ओबराय (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

इंटरनेट दुकान की है,
सब को पहचान, 
करें इसका प्रयोग इतना–
हो जिससे कल्याण। 
 
करें मनोरंजन और अध्ययन–
न करें मर्यादा पार, 
वर्ना झंकृत न होंगे–
हृदय के हमारे शुभ विचार। 
 
सारी दुनिया से–
इससे जाते हम जुड़, 
ध्यान नहीं रखते–
शायद इसके कुछ दुर्गुण। 
 
हर प्रकार की जानकारी में, 
है यह सफल सहायक, 
बनना होगा–
हमें ही, 
अपना सही निर्णायक। 
 
हर प्रकार का पाएँ–
हम इससे ज्ञान, 
उत्तर पाकर–
बढ़ाते जैसे अपनी शान। 
 
बड़ी आकर्षक है–
इंटरनेट की दुनिया, 
बढ़ रहीं इससे संबंधों में–
अनावश्यक दूरियाँ। 
 
घर के सदस्य सभी–
इसमें हैं व्यस्त, 
जाने-अनजाने में–
कुचल रहे हम,
अपनों के, 
सुंदर–सुनहरे स्वप्न। 
 
बच्चों को–
नहीं फ़ुर्सत, 
बात करने की,
अब घर पर, 
सबको प्यारा–
संग इसका, 
सब हैं अब इसी निर्भर। 
 
परिवार में न है–
अब ध्यान किसी का, 
देश विदेश में–
कर बातचीत, 
नहीं विचार करते–
अब हम अपने, 
संस्कारों और मानवता का। 
 
ऐसी इंटरनेट की
दुनिया के कारण
सूनी हैं सब गलियाँ, 
बिना इसके भी थीं–
चारों ओर हज़ारों ख़ुशियाँ। 
 
दूरियाँ बढ़ रहीं हैं–
क्योंकि–
बढ़ गईं हैं–
अधिकतर नव पीढ़ी की, 
नेट से बहुत नज़दीकियाँ। 
 
मोबाइल, टीवी हो गए–
अब प्रमुख,
क्षय होते मूल्य
नहीं रहे हमें अब दिख। 
 
अपनों की उपेक्षा कर–
दूसरों से नेह बढ़ाते, 
क्या यही रिश्ते हैं–
आज के, 
हम समझ न पाते। 
 
नेट के हो गए–
सब क़ायल, 
होते हैं जिनसे–
बहुत से हृदय घायल। 
 
अपने-अपने में हैं–
व्यस्त आज के युवा, 
क्या कर पाएँगे वे–
जीवन में कुछ नया? 
 
शोक में है यह पीढ़ी
अभिभावकों व शिक्षकों की, 
देखकर नव पीढ़ी–
करते जो सदा, 
अपने ही जी की। 
  
शायद भूख कोई समय की–
बढ़ती जा रही, 
वजह से जिसके–
यह भोली नव पीढ़ी, 
मानो गुमराह सी हो रही? 
 
प्रयोग करें सब इसका–
रहकर सीमा में अपनी, 
गर हो गई–
कुछ ऊँच–नीच, 
न रह पाएँगे कहीं भी। 
 
बच्चो एक बात का
रखना आप ध्यान, 
सोच समझकर करें–
इसका सही इस्तेमाल। 
 
हमारी गतिविधियों पर है
नज़र सबकी इस प्रकार, 
न हो जाए अनजाने में–
कहीं हम किसके शिकार। 
 
प्रशंसा पाकर होते
ख़ुश अनेक, 
पता चलता है जब–
अकाउंट हमारा हो गया हैक। 
 
खींचे सबको इसका–
अतुल मायावी रूप, 
बचाएँ इससे स्वयं को–
समझ चमकती धूप। 
 
गर सब मिलकर–
हम लें यह साध, 
अवश्य दूर होगा–
नहीं तो कम तो होगा ही, 
यह साइबर अपराध। 
 
हो जाए साइबर
अपराध अगर, 
समझिए अब तो–
निश्चित है, 
कठिनाइयों और बाधाओं भरा–
जेल का कष्ट सफ़र। 
 
हो जाए ईश की अनुकंपा–
आप पर अब भारी, 
सबकी बुद्धि हो जाए–
नित नवल–न्यारी। 
 
भविष्य सुधार अपना–
चलना होगा, 
उज्ज्वल पथ पर
हैं हम और होंगे हमीं ही, 
तारे इस ज़मीन पर। 
 
सुबह होते ही देखना चाहें 
हो चाहे कोई भी वार
बिन देखें न रह सकें
अज़ब है यह 
नेट का संसार। 
  
देखने को उसे रहते सब बेचैन
चलाते चलाते हो जाए 
सुबह से श्यामल रैन। 
 
पढ़ें या करें प्रार्थना
या कोई अन्य काम
साथ न हो अगर हमारे
लगे जैसे हम बिन प्राण। 
 
आधुनिक युग का है यह
सबसे सशक्त आविष्कार
रहें ध्यान में हानियाँ उसकी
न करें कोई प्रतिकार। 
 
सदुपयोग हो इसका यदि
तो हैं फ़ायदे इसके हज़ार
गर डूब गए हम इसमें
न होगा बेड़ा पार। 
 
विज्ञान का है यह वरदान
करें उपयोग इसका 
सीमा में; न करें सीमा 
हम अपनी पार। 

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