प्यारी सासू माँ
डॉ. सुनीता जाजोदिया
सीख से सँवारा, अनुभव से तराशा
नादानियों को भुलाया, हरदम गले लगाया
ममता की छाँव में तेरी, अल्हड़ लड़की से
जाने कब बन गयी, एक सुघड़ गृहिणी
टकराती संकट से सहज
जो हँसते-हँसते हरदम।
प्रेम की ये पावन गंगा
द्वेष से करो न मैली
लाड़ प्यार कर बहुतेरा
ससुराल में माँ सरीखा
प्यार देती सासू माँ।
तेरे आँगन, जीवन साथी संग
सपनों का संसार बसाया
सदाबहार ख़ुशियों की मेरी चिंता में
सदा बरसाए मुझ पर आशीष कटोरे।
दुआओं से तेरी जब भर गई मेरी गोद
अब तेरा लाल, और इक मेरा लाल
दोनों दोनों पर बलिहार
लाल ये दोनों, दोनों का जीवन आधार
दोनों बलैया लेकर उनकी
उन पर देती सब कुछ वार॥
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