जोकर

डॉ. सुनीता जाजोदिया (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

वह देखो, जोकर हाथ हिला रहा है, जोकर हाथ मिला रहा है, जोकर नाच रहा है, जोकर नचा रहा है। अरे! अब जोकर चॉकलेट बाँट रहा है, बहुत से बच्चों ने अब जोकर को घेर लिया है। जोकर के साथ सेल्फ़ी लेकर बच्चे ख़ुश हो रहे हैं। जोकर के साथ माँ-बाप भी अपने बच्चों संग सेल्फ़ी लेकर ख़ुश हो रहे हैं। कुछ शरारती बच्चे पास आकर उसका मुखौटा उतारना चाहते हैं पर वह उतारता नहीं क्योंकि इवेंट वालों ने उसे सख़्त हिदायत दे रखी है कि चेहरे से मुखौटा बिल्कुल भी ना उतारा जाए, लोगों को यही समझने दो कि कोई बौना जोकर बना हुआ है ‌। 

जोकर मंच के एक ओर नाच रहा है वह भी मंच पर चढ़कर नाचना चाहता है, चॉकलेट बटोरना चाहता है इन अमीर बच्चों की तरह, शहर के नामी स्कूल द्वारा आयोजित बाल मेले का आनंद लेना चाहता है। पर अब उसकी आँखों के आगे नाच रहा है पाँच सौ रुपए का वह नोट, जो उसे पाँच घंटे लगातार मनोरंजन करने के बाद मिलने वाला है। जिसमें से दो सौ रुपए माँ बापू को दे देगी वरना वह उसे बुरी तरह से पीटेगा। दो सौ देगी झोंपड़ी के मालिक को वरना वह उन्हें बेघर कर देगा और बचे सौ में से वह पाँच प्राणियों के भोजन का जुगाड़ करेगी। 

माँ के लाख कहने पर बड़ी मुश्किल से आठ बरस का दीनू राज़ी हुआ था एक दिन का जोकर बनने के लिए, पर अब जैसे ही पेट की आँतें ज़ोरों से कुड़मुड़ाने लगी तो कल से भूखा वह सोच रहा था कि कार्यक्रम ख़त्म होते ही इस महीने की सारी बुकिंग मैनेजर से बात कर वह अपने नाम कर लेगा क्योंकि बाल-मेलों की बहार नवंबर के बाद न रहेगी। 

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