प्यार बाज़ार

15-12-2023

प्यार बाज़ार

विभांशु दिव्याल (अंक: 243, दिसंबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

हाय लड़को! तुम लोग आदिवासियों के आदिम युग में नहीं बल्कि इक्कीसवीं सदी में जी रहे हो। इक्कीसवीं सदी के बाज़ार युग में। अगर तुम बाज़ार के सक्रिय हिस्से नहीं हो और अपनी और अपने उत्पाद की, अपने प्रोडक्ट की, मार्केटिंग नहीं कर सकते, उसकी बाज़ारी नहीं कर सकते तो फिर क्या करोगे, कैसे ख़ुशहाल ज़िन्दगी जिओगे? इसके बिना तुम्हारी ज़िन्दगी वैसी ही होगी जैसे रैम्प पर थिरकती ख़ूबसूरत मॉडल की तुलना में झुग्गी की एक कचरा बीनती औरत की होती है। सोचो तुम अपनी ज़िन्दगी को कौन सी औरत बनाना चाहते हो! एक मॉडल औरत यानी एक मॉडल ज़िन्दगी न! तब जान लो कि एक मॉडल अपनी मार्केटिंग करती है, उनकी मार्केटिंग करती है जो उसे रैम्प पर उतारते हैं, उनके उत्पाद की मार्केटिंग करती है और अपना एक प्रोफ़ेशनल यानी व्यावसायिक मूल्य बनाती है।

याद रखो, यह कोई केवल निर्जीव जिंस ही नहीं होती जिसकी मार्केटिंग होती है, विपणन होता है। शक्ति, सौंदर्य, कौशल से लेकर धर्म, इतिहास, संस्कृति, कला, साहित्य, राष्ट्रीयता, अंतर्राष्ट्रीयता तक की मार्केटिंग होती है। यहाँ तक कि आक्रोश, प्यार और नफ़रत की भी मार्केटिंग होती है। अगर तुम्हारे अंदर क्षमता है तो दुनिया की किसी भी चीज़ की मार्केटिंग कर सकते हो। उसका बाज़ार तलाश सकते हो, उसके ग्राहक बना सकते हो, उसे बेच सकते हो, मनचाहा मुनाफ़ा कमा सकते हो। निजी कंपनी के इस मैनेजर को ही देखो, यह अपनी भोगेच्छा को बेचना चाहता है और इसके लिए यह ग्राहक तलाश रहा है।

तुम जब अपने किसी उत्पाद को बेचना चाहते हो तो तुम्हें बाज़ार के नियम को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। यह वह वक़्त नहीं है जब तुम अपने माल को ज़बरदस्ती बाज़ार में उतार सकते थे और ख़रीदने के लिए ग्राहक को मजबूर कर सकते थे। यह वह वक़्त भी नहीं है कि तुम खुले बाज़ार से ग़ुलाम ख़रीद लाते थे और अपनी हर भोगेच्छा उन पर थोप देते थे। यह बाज़ार का युग है जिसमें तुम्हें अपने ग्राहक को ईमानदारी से समझाना होता है कि जिस माल को तुम बेचना चाहते हो उसकी ज़रूरत वास्तव में उस ग्राहक को ही है। इसलिए सबसे पहले अपने माल की आकर्षक पैकेजिंग करो कि नज़र में आते ही ग्राहक को लुभा ले। उसे लगे कि यह चीज़ उसके पास होनी चाहिए। हमारा मैनेजर जानता है कि वह अपनी भोगेच्छा को अपने मनपसंद ग्राहक को सीधे नहीं बेच सकता। इसलिए उसने अपनी जिंस को प्यार के ख़ूबसूरत रैपर में लपेट दिया है।

एक विक्रेता यानी एक चतुर सेल्समैन अपने लक्ष्य समूह, अपने ग्राहक वर्ग या अपने एकाकी ग्राहक का चयन बहुत सावधानी से करता है ताकि उसके समय और ऊर्जा का अनावश्यक अपव्यय न हो। इस व्यक्ति ने अपने ग्राहक बतौर एक लड़की को लक्षित किया है जिसे वह अपना मनचाहा माल बेचकर मनचाहा मुनाफ़ा लेना चाहता है। यह तो तुम जानते ही हो कि मुनाफ़ा सिर्फ़ कैश में नहीं होता काइंड में भी होता है, केवल नगदी में ही नहीं बल्कि अपनी इच्छापूर्ति की संतुष्टि में भी होता है। 

याद रखो, जब तुम बेचने के लिए अपना उत्पाद उतारते हो तो केवल तुम्हारा उत्पाद ही महत्त्वपूर्ण नहीं होता, वह ग्राहक भी महत्त्वपूर्ण होता है जिसे तुम अपना उत्पाद बेचना चाहते हो इसलिए बिना अपने ग्राहक को ठीक से समझे, बिना लक्षित व्यक्ति या समूह के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त किए तुम निश्चित समय और निश्चित तरीक़े से उस तक नहीं पहुँच सकते। तुम अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते। 
कभी-कभी ऐसी स्थिति हो सकती है कि कोई ग्राहक सचमुच उस जिंस की ज़रूरत में हो जिसे तुम बेचना चाहते हो, और वह उसे पाने के लिए तुम्हारी तरह के किसी सेल्समैन की प्रतीक्षा कर ही रहा हो। यह भी हो सकता है कि यह लक्षित ग्राहक ख़ुद एक सेल्समैन की भूमिका में हो और अपना माल तुम्हें बेचना चाहता हो। तब विनियम की एक आदर्श स्थिति उपस्थित हो सकती है जिसमें तुम भी बिना अधिक मेहनत के लक्ष्य प्राप्त कर लेते हो और तुम्हारा ग्राहक भी मनचाहा पा लेता है। लेकिन तुम्हारे इस मैनेजर-सह-सेल्समैन के साथ ऐसी बात नहीं है। इसकी लक्षित लड़की एक फौरी तौर पर पति से सम्बन्ध विच्छेद किये बैठी लड़की है और कुछ समय से उसके साथ नहीं रह रही है। उसे किसी सेल्समैन की तलाश नहीं है। लेकिन तुम्हारा सेल्समैन इसे अपनी जिंस की बिक्री के लिए एक आदर्श ग्राहकीय स्थिति मानता है। यानी जैसा माल वह बेचना चाहता है उसके लिए एक सही ग्राहक। 

बाज़ार में उतरा हुआ एक सेल्समैन अपनी कंपनी और अपने उत्पाद की विक्रेयता के बारे में भलीभाँति जानता है, उसके सकारात्मक-नकारात्मक पक्षों की अच्छी जानकारी रखता है, और उसी के अनुसार अपनी विपणन नीति तैयार करता है यानी मार्केटिंग स्ट्रेटैजी। यानी उसके पास जिस तरह का माल है उसका आदर्श ख़रीदार कौन हो सकता है, इसकी सही पहचान। यहाँ तुम्हारा यह मैनेजर बीवी और दो सुन्दर बच्चों वाला, परिवार की ज़रूरतों का ध्यान रखने वाला, सुखी पारिवारिक जीवन जीने वाला ज़िम्मेदार व्यक्ति है। वह अपनी पत्नी को सभी सामाजिक-पारिवारिक रिश्तों के बीच रखता है। लेकिन पति-पत्नी सम्बन्ध की उत्तेजनात्मक अवधि के चुक जाने के कारण अक़्सर ऊब और नीरसता से ग्रस्त हो जाता है। लेकिन यहाँ केवल ऊब का मामला नहीं है। बल्कि अपनी जिंस के लिए ग्राहक तलाशते रहने और उसे बेचते रहने की बाज़ार नीति का मामला अधिक है, जैसा कि हर कुशल सेल्समैन, चतुर व्यापारी करता है। वह अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमा रहा होता है लेकिन बाज़ार में टिके रहने के लिए अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाते रहना चाहता है। अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाना बाज़ार का एक प्राथमिक नियम है। तुम स्वयं को सिर्फ़ उससे संतुष्ट नहीं रख सकते जो तुमने अर्जित कर लिया है। इसलिए यह शंका या सवाल उठाना कि निजी कम्पनी का यह मैनेजर इस लड़की को क्यों लक्षित किये हुए है, बेमानी है। 

बाज़ार में खड़ा हुआ एक अच्छा सेल्समेन अपने ग्राहक के पास बहुत ही मित्रतापूर्ण अंदाज़ में पहुँचता है। यहाँ ध्यान रखो कि तुम्हारा यह अंदाज़ ओढ़ा हुआ नहीं, बल्कि बिल्कुल स्वाभाविक लगना चाहिए। यह हमेशा ख़ुशनुमा और आकर्षक होना चाहिए ताकि तुम्हारा ग्राहक तुम्हें एक बार अपनी बात कहने का अवसर अवश्य दे दे। तो तुम्हारा यह सेल्समैन लड़की की ओर बेहद आत्मीय मुस्कान उछालता है और बदले में सूक्ष्म-संकुचित सी मुस्कानभरी प्रतिक्रिया पा जाता है। यहाँ सेल्समैन को अपने ग्राहक की पदस्थिति का थोड़ा लाभ मिलता है जिसका अनुमान वह पहले से लगाये हुए है। यह लड़की उसी कार्य स्थल पर काम करती है जहाँ यह सेल्समैन बहैसियत मैनेजर पदस्थापित है। इसलिए उसे प्राथमिक परिचय के थकाऊ कब-कहाँ-कैसे से नहीं गुज़रना है। उसे बस इतना पूछना है—आप किस सेक्शन में काम कर रही हैं? वह भी इसलिए कि उसे स्वयं को परिचित कराना है और सेल्समैन-ग्राहक सम्बन्ध स्थापन की शुरूआत करनी है। अन्यथा वह पहले से जानता है कि लड़की किस विभाग में काम कर रही है, किस तरह का काम करती है, उसका तात्कालिक अधिकारी कौन है, उसके मित्रवत रिश्ते किन लोगों से हैं, वह किस साधन से आती-जाती है, उसका साप्ताहिक अवकाश किस दिन रहता है, आदि-आदि।

बाज़ार का एक सुनहरा नियम है—अपने ग्राहक को अच्छी तरह जानिए! कहने की ज़रूरत नहीं है कि तुम्हारा सेल्समैन इस नियम से भली-भाँति परिचित है। अगर तुम्हारे विक्रेय माल में ही कहीं कोई कमी है, जैसे कि इस सेल्समैन के साथ उसके विवाहित होने और दो बच्चों के बाप होने में है, तो इस नियम का अधिक सावधानी के साथ अनुपालन होना चाहिए। 

जब तुम अपने ग्राहक को अच्छी तरह जान लेते हो और जब परिचयात्मक औपचारिकताएँ पूरी हो जाती हैं तो फिर अगले सुनियोजित क़दम का वक़्त होता है। अगला क़दम ग्राहक की अभिरुचि, सुंदरता, जानकारी आदि की प्रशंसा करके सम्बन्ध को थोड़ा अधिक अंतरंग करने का होता है। तुम्हारा सेल्समैन इस कला को अच्छी तरह जानता है। वैसे यह कला शताब्दियों से विकसित हो रही है, लेकिन अब बाज़ार के नियोजित प्रयासों के चलते और आधुनिक विज्ञान-प्रौद्योगिकी के निकटतम सहयोग के चलते इस समय यह कला अपने विकास के चरम पर है और इसने स्वयं एक विज्ञान का अवतार ले लिया है। एक अच्छा सेल्समेन जानता है कि इस कला के किस रूप नियम का, किस ग्राहक के साथ, किस परिस्थिति में, किस तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन कुछ सामान्य और सार्वभौमिक नियम होते हैं जो हर ग्राहक पर समान रूप से लागू होते हैं। 

तुम्हारा सेल्समेन इस सैद्धांतिक बात को ठीक से जानता है। वह जानता है कि प्रशंसा सूत्र हर औरत पर समान रूप से लागू होता है। कोई भी औरत अपनी प्रशंसा की खनक को अनसुना नहीं कर सकती। इस प्रशंसा नियम की अनेक धाराएँ-उपधाराएँ होती हैं जिनका इस्तेमाल समयानुकूल किया जा सकता है। प्राथमिक परिचय कि ‘आप’ औपचारिकता से ‘तुम’ अनौपचारिकता पर आने के लिए यह सूत्र अचूक काम करता है और तुम्हारे काम को और अधिक सहज बना देता है—आज तुम सुंदर लग रही हो; तुम्हारी कपड़ों की च्वाइस ग़ज़ब की है; यह ज्यूलरी बहुत अच्छी लग रही है; तुम्हें मेकअप करना वाक़ई आता है; तुम्हारा एस्थेटिक सेंस वंडरफुल है; तुम्हारी आवाज़ में म्यूज़िक है; क्या तुमने कभी किसी कम्पटीशन में भाग नहीं लिया, आदि-आदि। 

एक अच्छा सेल्समैन ग्राहक को सिर्फ़ ख़ूबियों से ही मंडित नहीं करता उसके प्रति सहानुभूतिपूर्ण भी दिखता है, सहानुभूति में भी प्रशंसा सूत्र अच्छी तरह पिरोया हुआ रहता है—तुम इतना काम करती हो कोई दूसरा नहीं कर सकता . . . तुम्हारे बिना डिपार्टमेंट का काम नहीं चल सकता . . . तुम्हें अपनी सारी ऊर्जा ऑफ़िस में ही नहीं झोंक देनी चाहिए . . . थोड़ा बहुत ख़्याल अपना भी रखना चाहिए। तुम्हारा सेल्समैन जब भी उसे मौक़ा मिलता है, इस सूत्र का ख़ूबसूरती से इस्तेमाल करता है। वह कहता है, “आज तुम बहुत ग़ज़ब लग रही हो।” 
लड़की कहती है, “यह सिर्फ़ आपकी फ़्लैटरी है।”

“क्या, क्या कहती हो! भूल जाओ,” वह कहता है, “मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी किसी की फ़्लैटरी नहीं की। किसी की झूठी तारीफ़ नहीं की। मैं वही कहता हूँ जो महसूस होता है। आश्चर्य है, किसी और व्यक्ति ने तुमसे यह नहीं कहा। कहा तो होगा ही लेकिन तुम मुझे बताओगी नहीं।”

एक अच्छा सेल्समैन हमेशा इस बात का ध्यान रखता है कि जो कुछ वह अपने और अपने प्रोडक्ट के बारे में बता रहा है उसे एकदम सच माना जाये, सच के अलावा और कुछ नहीं। वह अपनी बात को एक सच की तरह ग्राहक के ज़ेहन में उतारने के लिए हर सूत्र अपनाता है जो बाज़ारशास्त्रियों ने ईजाद किया है। वह तब तक ग्राहक को आश्वस्त करने की कोशिश करता है जब तक कि वह ख़ुद आश्वस्त न हो जाये। तुम्हारे सेल्समैन की भाषा भी ठीक निशाने तक पहुँचती है। लड़की उसकी बात पर भरोसा करती प्रतीत होती है।

कुशल सेल्समैन एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की तरह यह जान जाता है कि उसकी कोशिश कारगर हुई है। अब यह ग्राहक की ओर अगला क़दम बढ़ाने की बेला होती है—ग्राहक जी, क्या आप जानना चाहते हैं कि मैं क्या बेचना चाहता हूँ? क्या तुम मेरे साथ एक कप कॉफ़ी पीना पसंद करोगी? नहीं, कोई ज़बरदस्ती नहीं है। 

अगर तुम चाहो तो! वैसे मुझे अच्छा लगेगा। अभी नहीं तो कभी भी, जब तुम थोड़ा फ़्री महसूस करो . . .

तुम्हारा यह सेल्समैन पहले से जानता है कि लड़की को जब भी उसे अपने उबाऊ काम से थोड़ी फ़ुर्सत मिलती है तो कॉफ़ी पीना पसंद करती है। मगर वह कहता है, “मुझे पता नहीं तुम कॉफ़ी पीती हो कि नहीं, पर मुझे लगता है तुम्हें कॉफ़ी पसंद है।” 

सेल्समैन ग्राहक के चेहरे पर सराहना की रेखा देखता है। वह लड़की के चेहरे पर भी देखता है। लड़की कहती है, “अभी तो नहीं, लेकिन . . .” लड़की थोड़े संकोच में पड़ी दिखाई देती है।

सेल्समैन इसे भाँप लेता है। वह ज़िद नहीं करता। वह जानता है कि एक अच्छे सेल्समैन में पर्याप्त धैर्य होना चाहिए—यह धैर्य काल होता है जब ग्राहक के संदेह दूर हो रहे होते हैं। और वह तुम्हारे ऊपर भरोसा करने की ओर उन्मुख हो रहा होता है।

वह कॉफ़ी की मेज़ पर बैठकर पूछता है, तुमने अभी तक वैसा कोई उत्पाद क्यों नहीं ख़रीदा जैसा मैं बेचना चाहता हूँ, और इस सवाल के लिए उसके शब्द होते हैं, “तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की?”

यह सावधानी से निर्मित बहुत ही सूत्रपरक सवाल होता है। उसे लड़की की वैवाहिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी है जो प्रायः ऐसे कार्यस्थलों पर एक-दूसरे के बारे में सहज ही प्राप्त हो जाती है। उसे इस बात का भी अनुमान है कि उसे क्या उत्तर मिलेगा और यह भी कि उस उत्तर में वह क्या कहेगा। उसकी अपेक्षानुसार लड़की कहती है, “मैं मैरिड हूँ।” 

तुम्हारा यह आदमी दुनिया का सारा आश्चर्य अपने चेहरे पर खींच लाता है, “अरे, तुम तो कहीं देखने से भी नहीं लगती कि तुम्हारी शादी हो गयी है, और तुमने वैसे गहने-सहने भी नहीं पहन रखे हैं . . .”

वह अच्छी तरह जानता है कि बिछुए पहनना या माँग में सिंदूर भरना अब फ़ैशन में नहीं है। इसके उलट अविवाहित लड़कियाँ भी माँग में सिंदूर जैसी टिकुली बिठाये दिख जाती हैं। 

वह कहता है, “तुम्हारा पति भाग्यशाली व्यक्ति है।”

लड़की उसकी ओर अजीब सी दृष्टि से देखती है। लेकिन वह इस दृष्टि की पूर्व कल्पना किये हुए है, कहता है, “मेरा मतलब तुम्हारी जैसी पत्नी पाकर . . . ” 

लड़की एकाएक उदास-सी हो जाती है। कहती है, “चलिए छोड़िए, कॉफ़ी लीजिए।” 

कॉफ़ी पीने के बाद एकाएक उठ खड़ा होता है। इस तरह उठकर खड़ा होना यह प्रभाव छोड़ता है कि लड़की की शादी की बात जानकर उसे थोड़ा झटका लगा है और अब आगे रुचि लड़की में नहीं होगी। वह यही प्रभाव पैदा करना चाहता है। 

वह जानता है कि ग्राहक को एक बार दुविधा की स्थिति में ज़रूर डालना चाहिए कि यह सेल्समैन फिर उसके पास आएगा कि नहीं या यह आदमी उसके विवाहित होने की बात जानकर उसमें रुचि लेगा या नहीं, उससे आगे कॉफ़ी का आग्रह करेगा कि नहीं। वह लड़की का यह ग्राहकीय असमंजस भाँप लेता है। 

ऊपर से थोड़ा गंभीर दिखता है मगर अंदर से मुस्कुराता है। 

जब तुम अपने ग्राहक का थोड़ा भरोसा जीत लेते हो तो अब उसे यह बताने का क्षण होता है कि तुम्हारे उत्पाद के क्या विशिष्ट गुण हैं। यहाँ सिर्फ़ अपने उत्पाद की ख़ूबियाँ गिनानी होती हैं ताकि ग्राहकों को उसे ख़रीदना अच्छा लगे। ग्राहक को लगे कि उसने अपनी पसंद और चाहत की चीज़ ख़रीदी है जिसका वह इंतज़ार कर रहा था। मगर सावधान तुम्हारे ग्राहक का कोई पुराना अनुभव हो सकता है। तुमसे पहले उसके पास कोई और सेल्समैन पहुँचा हुआ हो सकता है जिसका उसे कोई अप्रिय अनुभव हो चुका हो सकता है। या ग्राहक को स्वयं बाज़ार और बाज़ारियत के नियम-तरीक़ों की जानकारी हो सकती है और तुम्हारी दाल में उसे कुछ काला दिखाई दे सकता है। तब तुम्हें ऐसी किसी भी विपरीत और अवांछित स्थिति को टालने के लिए अपने तई कुछ जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

तुम्हारा यह सेल्समैन एक सही व्यक्ति होने की विश्वसनीयता और तद्जन्य घनिष्ठता अर्जित कर चुका है और अपने भीतर के विक्रेता को इस आवरण के नीचे पूरी तरह छिपा चुका है। अर्जित रिश्ते के तहत वह उसके साथ कई बार कॉफ़ी पी चुका है। संकेतों में स्वयं उसके मुँह से पति से अलग रहने की बात जान चुका है। पूर्व अनुभवजन्य अनेक शंकाओं का निवारण कर चुका है। अब अगला क़दम उठाने की तैयारी कर रहा है। यानी अपने माल की विशेषताएँ बताने की तैयारी, और वह कॉफ़ी की मेज़ पर ही आगे बढ़ता है, “अगर तुम बुरा न मानो तो तुमसे एक निजी सवाल पूछूँ?” 

लड़की कुछ आशंकित-सी दृष्टि से उसे देखती है। वह उसका आशय भी समझ जाती है। कहती है, “प्लीज़, मेरी पर्सनल लाइफ़ के बारे में मुझसे ज़्यादा मत पूछिये। जितना बता चुकी हूँ उतना बहुत है। दरअसल मुझे इस बारे में बात करना अच्छा नहीं लगता।” 

तुम्हारा यह आदमी थोड़ा परेशान होता है। असल में उसका यह सवाल आगे की अनेक संभावनाओं से भरा होता है, जिसके जवाबी संवाद से वह आगे की आत्मीयता स्थापित करना चाह रहा होता है। लेकिन हर अच्छा सेल्समैन अपनी किसी पहल को ख़ाली जाते देख तुरंत पहलू बदल लेता है। तुम्हारा आदमी भी यही करता है। वह अपनी जिस सहानुभूति का सीधे विपणन करना चाह रहा होता है, उसे थोड़ा सा घुमाव दे देता है, “मैंने तो बस इसलिए कहा कि मैं सचमुच तुम्हारी चिंता करता हूँ। अगर तुम मेरे साथ शेयर नहीं करना चाहती तो फिर मैं कुछ नहीं पूछूँगा।” वह अपने चेहरे पर कुछ ऐसा भाव ले आता है जैसे उसे बुरा लगा हो और वह सचमुच आहत हुआ हो। 

उसकी यह चाल काम करती है। लड़की कहती है, “दरअसल, जब भी मैं उन बातों को याद करती हूँ तो मुझे उन्हीं दुखद बातों से गुज़रना पड़ता है जिन्हें मैं भूलना चाहती हूँ।”

यहाँ इस व्यक्ति को मनचाहा अवसर मिलता है, “कभी-कभी जब आप अपने अतीत की दुखद यादों को अपने किसी विश्वसनीय दोस्त के साथ बाँटते हैं तो दुख कम भी हो जाता है, और आप ख़ुद को ज़्यादा शांत और मज़बूत महसूस करते हैं। पर तुम्हें यह सब करने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हारी तकलीफ़ को समझता हूँ और अंदाज़ा लगा सकता हूँ कि तुम किन हालात से गुज़री होगी . . .”

वह अपनी बात के प्रभाव को आँकता है। 

लड़की के चेहरे पर कोई भी अनचाही रेखा नज़र नहीं आती। वह केवल उसकी ओर देखती है। वह कहता है, “मैं तुमसे बस इतना कहना चाहता हूँ कि कभी भी तुम्हें यह महसूस हो कि तुम अपने मन का बोझ हल्का करना चाहती हो तो तुम बिना किसी संकोच के मुझसे कह सकती हो। मैं यह दावा नहीं करता कि मैं तुम्हारा अकेला दोस्त हूँ, फिर भी तुम्हें लेकर मैं जो महसूस करता हूँ वह मैंने साफ़-साफ़ तुम्हारे सामने कह दिया है। तुम मेरे ऊपर भरोसा कर सकती हो।” 

उसके शब्दों का वांछित असर हुआ है, यह वह लड़की के चेहरे के उतार-चढ़ाव से भाँप लेता है। वह अपने संवाद को जहाँ ख़त्म करता है वहाँ उसने आगे की युक्तियों के लिए पर्याप्त गुंजाइश बना दी है। याद रखो, जब तुम्हारा ग्राहक तुम्हारे ऊपर भरोसा करने लगता है तो वह उस माल पर भी भरोसा करना शुरू कर देता है जिसे तुम उसे बेचना चाहते हो। और यह आधी सफलता होती है। 

एक सेल्समैन झूठ बेचने में माहिर होता है। कभी-कभी वह समूचा झूठ सच की पन्नी में लपेटकर ग्राहक के हवाले कर देता है। लेकिन कभी-कभी यह झूठ पकड़े जाने पर पलटवार भी कर देता है और सारे किये कराये पर पानी फेर देता है। इसलिए एक अच्छा सेल्समैन यह जोखिम कभी नहीं उठाता। तुम्हारा यह सेल्समैन जानता है कि उसके विवाहित होने का तथ्य उसके लिए कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है लेकिन अगर वह इसे छुपाने की कोशिश करेगा तो वह किसी भी समय प्रकट होकर उसके विपणन प्रयास को ध्वस्त कर सकता है। कार्यालय संस्कृति के इन दिनों में जहाँ सूचनाएँ, प्रतिसूचनाएँ और प्रवाद हर कोने अंतरे में निर्बाध प्रवाहित होते रहते हैं तुम केवल नंगे झूठ पर निर्भर नहीं कर सकते। 

तुम्हारा यह सेल्समैन भी नहीं करता। उस समय स्थिति भिन्न थी जब उसने एक किशोरी को अपना लक्षित ग्राहक बनाया था। उस समय उसकी मँगनी हो गयी थी। अपनी भोगेच्छा बेचने के लिए उसने यह तथ्य पूरी तरह छिपा लिया था। जब उसने अपना ग्राहक लक्ष्य पा लिया था तो कह दिया था कि उसके माँ-बाप उसे दूसरी जगह शादी के लिए मजबूर कर रहे हैं, और क्योंकि वह उसके अपने माँ-बाप को बहुत चाहता है, इसलिए वह उनकी बात टाल नहीं सकता। यह एक आसान सी मुक्ति थी। लेकिन यहाँ लक्षित ग्राहक और विपणन स्थितियाँ काफ़ी कुछ भिन्न हैं और जटिल भी। लक्षित लड़की वैसी भोलीभाली नहीं है, और दूसरे, कोई भी किसी भी मेज़ से उठकर उससे उसके परिवार के बारे में चुग़ली कर सकता है। इसलिए उसने अपनी विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए इस सच्चाई को स्वयं लड़की तक पहुँचाने की रणनीति बनाई है। यानी अपने माल की एक-दो कमज़ोरियाँ गिनाकर भी माल के प्रति ग्राहक का भरोसा जीता जा सकता है। 

इधर होने वाली मुलाक़ातों और फोन वार्ताओं के मध्य उसने अपने परिवार और बीवी बच्चों के बारे में एकाध पूरे-अधूरे वाक्य छोड़ने शुरू कर दिये हैं, लड़की भी इन्हें सहजता से ही ले रही है। याद रखो, एक अच्छा सेल्समैन अपनी अपेक्षाकृत दोयम दर्जे की जिंस का विपरीत परिस्थितियों में भी विक्रय करने की चुनौती स्वीकार करता है। यहाँ विक्रय रणनीति अधिक ठोस, नियोजित और निर्दोष होनी चाहिए। यहाँ पारंपरिक विक्रय नीति अपनाने के बजाय ग्राहक की मनः स्थिति के अनुरूप रणनीति बनाना ज़्यादा कारगर होता है। एक अच्छे सेल्समैन को चालाक होने के साथ-साथ कल्पनाशील और त्वरित रणनीतिकार भी होना चाहिए ताकि बाज़ार में अपने माल की माँग बनाए रखने के लिए वह तात्कालिक परिस्थिति के अनुसार उचित क़दम उठा सके। 

 इस स्तर पर तुम्हारे मैनेजर ने अपने संवाद में कुछ अधिक निकटता का बोध कराने वाले वाक्यांश शामिल कर लिये हैं . . . हैलो डियर . . . कल तुम ऑफ़िस में नहीं थी, तुम्हारा फोन भी नहीं उठ रहा था, मुझे चिंता हो रही थी। ख़ैरियत तो है न! . . . मुझे सचमुच तुम्हारी बहुत चिंता होती है . . . यार जब न आना हुआ करे तो बता तो दिया करो . . . डियर अकेली कॉफ़ी पीने की इच्छा नहीं होती . . . गले से नीचे नहीं उतरती . . . 

और एक दिन लड़की पूछती है, “आप कल कैंपस में नहीं थे, कहाँ रह गये थे?” 

तुम्हारा यह सेल्समैन जानता है कि यह उसके लिए उपलब्धि का क्षण है, वह कहता है, “धन्यवाद, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि तुमने मेरे बारे में कुछ पूछा तो सही . . . ” न आने का स्पष्टीकरण देते हुए वह एक क़दम और आगे बढ़ाता है, “वैसे मैंने तुम्हें बहुत मिस किया।”

विक्रय योजना के अगले चरण में कई महत्त्वपूर्ण बातें शामिल होती हैं। यह चरण अपनी गहरी विश्वसनीय घनिष्ठता का आभास कराने और इस आभास को ग्राहक की मानसिकता का हिस्सा बनाने का होता है। यहाँ संचार व्यवस्था और इसके उपकरण बहुत काम आते हैं। ग्राहक को किसी जिंस का सच नहीं, जिंस के सच होने का आभास बेचा जाता है। चाय के एक ख़ास ब्रांड के साथ भारत जागता है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि चाय का प्याला हर भारतवासी के हाथ में पहुँच जाता है। या टीवी के परदे पर दिखने वाला ख़ूबसूरत साबुन तुम्हारे स्नानघर में आ जाता है। बस उसके होने का भरपूर आभास तुम्हारे ज़ेहन में तिरने लगता है। उसकी छाया उसको पाने की इच्छा बनकर तुम्हारे आस-पास मँडराने लगती है। तो तुम्हें पहले इस छाया को और इसके बाद उसे पाने की इच्छा को निर्मित करना होता है– प्रत्यक्ष संपर्क से कम, संचार के अधुनातन उपकरणों के माध्यम से ज़्यादा। 

समझना यह है कि एक कुशल विक्रेता अपना माल सीधे संपर्क से नहीं बेचता बल्कि छवि और छाया निर्मित करने वाले उपायों-उपकरणों का भी भरपूर इस्तेमाल करता है। ये उपकरण छाया-विश्वसनीयता स्थापित करने में बहुत कारगर साबित होते हैं। इन दिनों व्यापारी तो व्यापारी तांत्रिकों से लेकर साधु-संन्यासी तक इनका बख़ूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। तुम्हारा यह मैनेजर भी अपने मोबाइल फोन का भरपूर इस्तेमाल करता है। सुविधा यह रहती है कि किसी को पता नहीं लगता कि तुम किससे बात कर रहे हो, क्या बात कर रहे हो। साथ ही तुम अपनी उन मुखाभिव्यक्तियों को आसानी से छुपा सकते हो जो लक्षित व्यक्ति के सामने होने पर उसकी पकड़ में आ सकती हैं और उसके मन में शंका पैदा कर सकती हैं। 

तुम्हारा मैनेजर इस तकनीक प्रदत्त गोपनीयता को अच्छी तरह भुनाता है। जिन बातों को सामने होने पर कहने में संकोच हो सकता है उन्हें वह फोन पर मज़े से कह देता है। थोड़ी सी औपचारिक बातों के बाद वह तुरंत कोई न कोई निजी क़िस्म की बात कह देता है, कभी-कभी द्विअर्थी वाक्य भी बोल देता है। एकाध बार उसे मनचाहा प्रत्युत्तर भी मिल जाता है। इस समय वह फोन पर अपनी घनिष्ठता और अपने लगाव के आभास को लड़की के मन में बिठाने की कोशिश कर रहा है, “तुम नहीं जानती कि मैं कितना चाहता हूँ। सच कहूँ तो चाहना शब्द मेरी भावनाओं को ठीक से प्रकट नहीं करता। सच बात यह है कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।”

दूसरे छोर पर थोड़ी देर के लिए चुप्पी छा जाती है। फिर उसे सुनाई पड़ता है, “चीज़ें जहाँ है वहीं रहने दीजिए। मेरे साथ फ़्लर्ट मत करिए।” 

मैनेजर को इन शब्दों से किसी भी तरह की नाराज़गी, विरोध या विकर्षण महसूस नहीं होता। यानी उसे कोई भी ऐसी बात महसूस नहीं होती जिससे उसे लगे कि उसका प्रयास निष्फल हुआ है। उल्टे, अपने चाहे अनुसार वह उत्साहित होता है। यहाँ से माल की बिक्री के उस चरण का क्रियान्वयन शुरू होता है जिसमें माल सम्बन्धी किसी भी दुविधा को ग्राहक के मन से निकाला जाता है। कभी-कभी यह होता है कि ग्राहक सेल्समैन पर तो पूरा भरोसा करता है मगर उसके माल पर नहीं। इस बिंदु पर किसी वास्तविक कर्म की नहीं बल्कि कर्म की पूर्वपीठिका के तौर पर उस दर्शन की ज़रूरत होती है जो कर्म को सही ठहराता है, यानी उसके सही होने को दिमाग़ का हिस्सा बनाता है। 

तुम्हारा मैनेजर भी अपने दर्शन का इस्तेमाल अपने विक्रेय माल की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए करता है, जिससे ग्राहक के मन में किसी भी तरह की कुछ दार्शनिक शंकाएँ बची हैं तो वे भी दूर हो जाएँ . . . ये सारी बातें वह अब थोड़ी अधिक खुली हुई चर्चाओं के मध्य करता है। वह औरत के अधिकार की बात करता है, उसकी दैहिक-मानसिक ज़रूरतों की बात करता है, उसकी सामाजिक-पारिवारिक हैसियत की बात करता है . . . बीच-बीच में वह अपने प्यार को चस्पां करना नहीं भूलता। यानी हर अच्छे सेल्समैन की तरह लड़की के दिमाग़ में वह बिठाना चाहता है कि जो माल वह बेचना चाहता है उसकी ज़रूरत स्वयं लड़की को ही है और वह मात्र लड़की की माँग का पूर्तिकर्ता भर है। 

एक एकांतिक बैठकी के दौरान लड़की उसके सामने अपेक्षित और लंबे समय से प्रतीक्षित सवाल उठाती है, “क्या आप अपनी पत्नी को प्यार नहीं करते?” 

वह जानता है कि यह सवाल किस दिशा में किया जा रहा है। वह कहता है, “मैंने तुम्हारे सवाल का मतलब नहीं समझा। अगर तुम यह कहना चाहती हो कि मैं अपनी पत्नी को प्यार करता हूँ तो तुमसे प्यार नहीं कर सकता तो तुम निश्चित तौर पर ग़लत हो। मेरी पत्नी और मेरे बच्चे मेरा परिवार हैं। उनके प्रति मेरे निश्चित कर्त्तव्य हैं। परन्तु मैं यह नहीं समझ पाता हूँ कि यह स्थिति मुझे तुमसे या किसी भी और व्यक्ति से प्यार करने से कैसे रोक सकती है?” 

सावधान, ग्राहक इतना भोला और सरल नहीं भी हो सकता जितना कि तुम उसे कभी-कभी मान लेते हो। लड़की पूछती है, “आप मेरे लिए अपने प्यार को और अपनी पत्नी के लिए अपने प्यार को कैसे अलग करते हैं?” 

एक चालाक विक्रेता के पास ग्राहक के हर सवाल का जवाब होता है। मैनेजर कहता है, “मैं एक बात स्वीकारना चाहता हूँ। मैंने अपनी पत्नी के लिए कभी वैसा महसूस नहीं किया जैसा मैं तुम्हारे लिए करता हूँ। मैंने जब पहली बार तुम्हें देखा था तो मेरे दिल पर एकदम से असर हुआ था। कुछ इस तरह कि मैं ख़ुद नहीं समझ पाया था। समझ रही हो न मैं क्या कह रहा हूँ। दरअसल जिस क्षण मैंने तुम्हें देखा था मैं उसी क्षण तुम्हारे प्यार में पड़ गया था। लेकिन तब मैं यह बात तुमसे नहीं कह सकता था, पता नहीं तुम किस तरह ले लेतीं . . .” यहाँ पर जानबूझकर चुप हो जाता है, उसकी प्रतिक्रिया के लिए। 

वह देखता है कि लड़की थोड़ी गंभीर हो गयी है। उसके चेहरे पर तनाव की रेखाएँ खिंच गयी हैं। 

वह कहता है, “छोड़ो यार ये परेशान चेहरा तुम पर बिल्कुल नहीं जंचता। मैंने जो महसूस किया वह ईमानदारी से तुम्हें बता दिया।” वह जानता है कि इस तरह के शब्द, ऐसी भाषा किसी भी लड़की को आहत नहीं करती। आख़िर कौन ऐसा व्यक्ति है जो अपने तई इस तरह के शहद की अपेक्षा नहीं करता। 

लड़की एक लंबी साँस लेती है। तुम्हारा यह आदमी आँखों से प्यार बरसाता हुआ उसके कंधे पर हाथ रख देता है। वह जानता है कि लड़की के मन में फिर शंका उमड़ रही है जो अगले सवाल के रूप में उसके सामने खड़ी हो सकती है। वह तैयार है। 

लड़की कुछ भ्रमित सी प्रतीत होती है। मगर वह कह देती है, “मैं भी आपको बताऊँ आप पहले व्यक्ति नहीं हैं जो मुझसे इस तरह की बातें कर रहे हैं . . .” ग्राहक सेल्समैन से कहता है तुम पहले सेल्समैन नहीं हो जो इस तरह का माल लेकर मेरे पास आये हो। लड़की कहती है, “यह अलग बात है कि मैंने जितनी पर्सनल बातें आपसे की हैं, उतनी किसी से नहीं कीं।”

सेल्समैन भाँपता है कि प्रतिद्वंद्विता भी है और थोड़ी प्रशंसा भी। प्रशंसा उसकी जीत है और प्रतिद्वंद्विता से उसे निपटना है। एक सचेत विक्रेता प्रतिद्वंद्विता को लेकर हमेशा सावधान रहता है। वह जानता है कि बाज़ार में वह अकेला विक्रेता नहीं है। बाज़ार और प्रतिद्वंद्विता गलबहियाँ करके चलते हैं। पर उसे ध्यान रहता है कि जब एक साबुन टेलीविज़न के पर्दे पर उतरता है तो कैसे बाक़ी साबुनों को दर्शक की आँखों के आगे से सरका कर सिर्फ़ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करता है। वह कहता है, “मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूँ। तुम अपनी जगह पर बिल्कुल सही हो। ठगों और धोखेबाज़ों के जमाने में आप हर किसी पर आँख बंद करके भरोसा नहीं कर सकते। लेकिन क्या तुम्हें सचमुच लगता है कि मैं उस तरह का व्यक्ति हूँ?” 

वह लड़की की आँखों में वांछित प्रतिक्रिया पढ़ता है। 

उसका दिमाग़ तेज़ी से काम करने लगता है और उन संभावित प्रतिद्वंद्वियों की सूची तैयार करने लगता है जो उसके लक्षित ग्राहक को अपना माल बेचने की जुगत कर रहे हो सकते हैं और लड़की की आँखों में जिनकी छवियाँ ध्वस्त किये जाने की ज़रूरत है। बाज़ार का एक और महत्त्वपूर्ण नियम है-अपना उत्पाद सुरक्षित बेचने के लिए इसी तरह के दूसरे उत्पादों को धोखा बताओ और उनके उत्पादकों को ठग। अपने उत्पाद की बज़ारी इस तरह ज़ोरदार ढंग से करो कि ग्राहक को लगे दुनिया में तुम्हारा उत्पाद ही एकमात्र सच्चा उत्पाद है।

लड़की कहती है, “मैं नहीं कहती कि आप उन जैसे हैं। मैं बता रही हूँ जो मैंने अनुभव किया है। जिस भी दूसरे आदमी को मालूम पड़ता है कि मैं पति से अलग रह रही हूँ वह सोचता है कि इसे आसानी से पकड़ा जा सकता है। यह तय करना वाक़ई मुश्किल है कि किस पर भरोसा करें, किस पर नहीं।”

बज़ारी का नियम है कि अपने ग्राहक के मन में अपने विक्रय माल को लेकर कभी कोई शंका मत पैदा होने दो। शंका पैदा होती है तो उसका तुरंत समाधान कर दो। इसके लिए चाहे अपने जिस कौशल का इस्तेमाल करना पड़े कर दो। वह कहता है, “मेरी आँखों में देखकर बताओ, क्या मैं सचमुच तुम्हें वैसा व्यक्ति नज़र आता हूँ? अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो मैं कुछ नहीं कह सकता। वैसे मैं ख़ुद को तुम्हारा एक सच्चा मित्र और हितैषी मानता हूँ। मैं तुम्हें कभी नीचा नहीं दिखा सकता . . . अब मैं क्या करूँ कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।” 

लड़की की आँखें नम हो जाती हैं। 

वह जानता है कि उसका ग्राहक संतुष्ट हो रहा है। उसके लिए अब वक़्त है कि उसके दोनों हाथ अपने हाथ में ले ले और अपने हाथों की पकड़ की गर्मी को उसके ज़ेहन तक पहुँचने दे। 

जब तुम अपने ग्राहक को सामाजिक-आर्थिक तौर पर अच्छी तरह जानते हो तो यह जानकारी तुम्हें अपने लक्ष्य सिद्ध करने में पर्याप्त मदद करती है। तुम्हारा सेल्समैन जानता है कि लड़की का परिवार एक मध्यवर्गीय परिवार है जिसमें परिवार के मुखिया की आमदनी कभी भी इतनी नहीं होती कि घर का ख़र्चा भी चला सके और लड़की की शादी के ख़र्चे की माँग भी पूरी हो सके। इसमें लड़कियों की नौकरियाँ ख़ासी मदद करती हैं, इसलिए ये नौकरियाँ एक तरह से अनिवार्य हो जाती हैं। इसके बाद शादी के मामले में भी लड़की की नौकरी लड़के की तलाश में मदद करती है। लड़के के मध्यवर्गीय परिवार में भी नौकरी वाली लड़की प्राथमिकता होती है। इस लड़की की शादी भी इन्हीं शर्तों के बीच संपन्न हुई थी। 

वह जान चुका है कि पति की शराब-सिगरेट, होटलों में बाज़ारू लड़कियों से मिलना, लगती-छूटती नौकरी, बात-बात पर अनियंत्रित ग़ुस्से से भर जाना, हर समय उसकी तनख़्वाह पर नज़र गड़ाए रखना, ज़रा सा भी विरोध करने पर हाथ उठा देना, ससुरालीजनों से कोई नैतिक-भौतिक सहायता न मिलना जैसे तत्त्व लड़की के ससुराल से भाग खड़े होने के कारण बने। लेकिन किसी भी लड़की के मध्यवर्गीय आर्थिक विपन्नता से घिरे माँ-बाप मात्र इतने से ही किसी सम्बन्ध को तोड़ देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। 

अपनी इस जानकारी के बल पर तुम्हारा मैनेजर बहुत ही सधे तौर पर लड़की से कहता है, “कोई भी समझदार और स्वाभिमानी लड़की ऐसे व्यक्ति के साथ रह ही नहीं सकती। इस सम्बन्ध को ख़त्म करो और नये सिरे से अपनी ज़िन्दगी शुरू करो।”

“यह इतना आसान नहीं है।” लड़की की आवाज़ से निराशा झलकती है। 

इस तरह के संवाद चलते रहते हैं। मैनेजर के पास जानकारी आती रहती है कि अब शादी को बचाने की कोशिशें हो रही हैं, कि घरवालों का पैसा ही नहीं उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी दाँव पर लगी है, रिश्तेदार चाहते हैं कि लड़की स्वयं झुककर समझौता कर ले . . . फिर उसे मालूम होता है कि सारा मामला अदालत में पहुँचने की तैयारी में है . . . इन सारी जानकारियों के बीच जो सबसे अच्छी बात उसे लगती है कि लड़की इन सारी बातों को उसके साथ बाँटने लगी है और वह भरपूर सहानुभूति प्रकट कर रहा है। 

एक अच्छा सेल्समैन कभी भी ग्राहक के निजी राग-द्वेष की गिरफ़्त में नहीं आता। वह ग्राहक के भावनात्मक आवेगों में संलिप्त नहीं होता बल्कि वह उनका अपनी लक्ष्य सिद्धि के लिए इस्तेमाल करता है। वह भावुकता का विक्रेय अभिनय करता है जैसे विज्ञापनी दुनिया का हर पात्र अनिवार्य तौर पर करता है। भावुकता और लगाव सिर्फ़ रैपर होते हैं जिनके भीतर जिंस रखी जाती है। ये रैपर जितने ज़्यादा चमकीले होते हैं भीतर की जिंस उतना ही ज़्यादा आभासीय सच की प्रतीति कराती है। तो तुम्हारे सेल्समैन की नज़र इस पर नहीं है कि लड़की की भावनात्मक उद्विग्नता उससे क्या अपेक्षा करती है, यह लड़की उससे क्या चाहती है, बल्कि इस पर है कि वह स्वयं क्या चाहता है। लेकिन लड़की को वह हर पल अहसास कराता है कि उसे उसकी चिंता है और उसकी भावुकता रैपर नहीं बल्कि ख़ुद एक जिंस है। 

वह कहता है, “तुम्हें इस सारे झमेले से जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी बाहर आ जाना चाहिए। इस के चक्कर में तुम अपना नुक़्सान ज़्यादा करोगी।” 

 वह जानता है कि उसने तार को सही जगह छेड़ा है। 

पर लड़की कहती है, “आप कह तो ठीक रहे हैं परन्तु आप एक लड़की के हालात नहीं समझ रहे हैं। एक लड़की के निर्णय लड़की के हाथ में कहाँ होते हैं। इतनी सारी उलझनें होती हैं कि . . .” 

वह कहता है, “तुम उलझनों की बात करती हो, ठीक है उलझनें होती हैं। लेकिन उन्हें सुलझाना तो चाहिए। सुलझाने की कोशिश तो करनी चाहिए। रही निर्णय की बात तो इसमें पूरा सच नहीं है। आप अपने निर्णय दूसरों पर भी छोड़ सकते हैं और ख़ुद भी निर्णय ले सकते हैं।” 

लड़की कहती है, “मैं यही तो कह रही हूँ, लड़की के लिए कोई निर्णय लेना आसान नहीं होता।” 

वह कहता है, “मैं भी यही कहना चाहता हूँ कि यह लड़की के ऊपर रहता है। अगर वह अपने पक्ष में निर्णय ले तो उसे कोई रोक नहीं सकता। लेकिन थोड़ी हिम्मत तो दिखानी ही होती है।” 

लड़की कहती है, “क्या निर्णय लूँ मैं?” 

वह पल भर सोचने की मुद्रा बनाता है। उसे पता है कि उसे लड़की का निर्णय अपने पक्ष में ले जाना है। वह कहता है, “अच्छा एक बात बताओ, तुम यहाँ इतना परेशान हो रही हो। तुम्हारी ज़िन्दगी अधर में लटक गयी है। उधर तुम्हारा पति भी क्या इतना परेशान है? क्या उसे भी इतनी तकलीफ़ महसूस होती है जितनी तुम्हें महसूस होती है। तुम्हें क्या लगता है, उसने दारू पीना या लड़कियों को होटल ले जाना छोड़ दिया है . . . क्या सोचती हो तुम?” 

लड़की कहती है, “जब उसने यह सब मेरे वहाँ रहते नहीं छोड़ा तो अब क्या छोड़ेगा। अब तो उसे और भी आज़ादी मिल गयी है . . . उसे छोड़ना होता तो मेरे रहते छोड़ देता।”

वह कहता है, “यानी उधर वह अपनी ज़िन्दगी अपनी तरह से जी रहा है और इधर तुम? तुम क्या कर रही हो? तुमने ज़िन्दगी जीना छोड़ दिया है। तुम्हें जो निर्णय लेना है वह यह कि तुम अपनी ज़िन्दगी अपनी तरह से जीना शुरू करो। बिना किसी के दबाव में आये। बाक़ी चीज़ें अपने आप निपटती रहेंगी।” 

सेल्समैन बता रहा है कि तुम्हें अपनी ज़िन्दगी अपनी तरह से जीने के लिए जो माल चाहिए वह उसके पास है। उसके पास जो माल है वह उसकी नहीं ग्राहक की ज़रूरत है। लड़की की ज़रूरत है। तुम्हारा सेल्समैन जान रहा है कि उसने इस ज़रूरत का अहसास अपने ग्राहक को करा दिया है। 

उनकी अंतरंगता गहरी हो गयी है। सेल्समैन ने ग्राहक का मनचाहा भरोसा जीत लिया है। अब उत्पाद विक्रय की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वह अपना अधिकार-जैसा प्रदर्शित करने लगा है। लड़की इस अधिकार-जैसे को सहजता से स्वीकार करने लगी है। वह घुमा-फिराकर अपनी बात यौनिक विषयों पर ला टिकाता है। लड़की कभी जवाब दे देती है, कभी संकोचवश चुप्पी लगा जाती है। जब वह विवाहेत्तर सम्बन्धों के बारे में बात करता है तो लड़की बहस भी करने लगती है।

मैनेजर कहता है, “विवाहेत्तर सम्बन्ध आजकल बहुत सामान्य हैं। इधर जो सर्वेक्षण आये हैं वह बताते हैं कि भारतीय समाज इन्हें स्वीकार करने लगा है।” 

लड़की सहमत नहीं होती और प्रतिवाद करती है, “मैं ऐसा नहीं मानती। यह बात इस पर निर्भर करती है कि हम किस समाज की बात कर रहे हैं, हमारे घरों में तो ऐसी घटना आज भी तूफ़ान उठा देती है। ऐसे संबंधों में शामिल व्यक्ति को आज भी नफ़रत की नज़र से देखा जाता है, ख़ास तौर से एक औरत को। आदमी के लिए हो सकता है कि चीज़ें आसान हो गयी हों लेकिन औरत के लिए कुछ भी नहीं बदला। आदमी की कोई चीज़ पकड़ी जाती है तो लोग उसे नज़रअंदाज़ भी कर देते हैं लेकिन औरत की ऐसी कोई चीज़ सामने आ जाती है तो यही लोग उसका जीना दूभर कर देते हैं।” 

तुम्हारा मैनेजर लड़की के शब्दों की सच्चाई को जानता है लेकिन इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर सकता। ऐसा करने से उसके अपने प्रयास को झटका लग सकता है। वह जानता है कि उसे न केवल इस तर्क को जीतना है बल्कि जीत के अपने तर्क से लड़की को सहमत भी कराना है। वह कहता है, “यह स्थिति पर निर्भर करता है। अगर एक लड़की डर से अपने आपको कुचलने पर ही आमादा है और अपनी ख़ुशी के लिए एक क़दम भी आगे नहीं बढ़ाना चाहती तो कोई क्या कर सकता है? मेरे ख़्याल से लोगों की बातों पर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए।” 

लड़की कहती है, “यह फिर एक पुरुष दृष्टिकोण है। इस समाज में एक औरत कई मोर्चों पर कमज़ोर होती है। वह चीज़ों को उस तरह से दरकिनार नहीं कर सकती जैसे कि एक आदमी कर सकता है लेकिन आप शायद इस बात को नहीं समझ पाएँगे क्योंकि आप एक पुरुष हैं।”

तुम्हारा सेल्समैन यहाँ थोड़ी कठिनाई महसूस करता है लेकिन एक अच्छा सेल्समैन आसानी से अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देता। उसके लिए तार्किक जीत ज़रूरी होती है। वह कहता है, “चलो तुम्हारी बात मान लेता हूँ लेकिन तुम जो कह रही हो उससे क्या औरत की इच्छाएँ भी मर जाती हैं? अगर एक आदमी अपनी ख़ुशी के लिए वह सब कर सकता है जो वह करना चाहता है तो एक औरत ख़ुशी के कुछ क्षण पाने के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकती? रही लोगों की बात तो लोगों को मालूम ही क्यों पड़े कि आप क्या कर रहे हैं।”

लड़की सीधे उसकी आँखों में झाँकती है। कहती है, “चीज़ें छिपती नहीं है।” 

वह कहता है, “फ़ालतू बात! अगर आप छिपाना चाहते हैं तो आसानी से छिपा सकते हैं। मैंने ख़ुद अपने आसपास देखा है। यहीं देख लो, यहाँ बहुतों के बहुतों के साथ सम्बन्ध हैं लेकिन किसके बारे में लोग कितना जानते हैं। अगर चीज़ें बाहर आती भी हैं तो आपकी किसी चूक के कारण या असावधानी के कारण।” उसे लगता है कि अब एक इंच आगे बढ़ने का समय है। वह अपना हाथ धीरे से उसके हाथ पर रख देता है और कहता है, “इस युग में औरतें अपने आपको आर्थिक तौर पर ही नहीं शारीरिक तौर पर भी मुक्त कर रही हैं। दे आर लिबरेटिंग दैमसेल्वस। तुम ही अकेली ऐसी हो जो लिबरेशन की इस लहर से अपने आप को बचाए हुए हो।” 

तुम्हारा सेल्समैन जानता है कि उसने तर्क जीत लिया है। वह मानव मनोविज्ञान को समझता है और एक औरत की मनःस्थिति को भी। औरत को भी शारीरिक संतुष्टि की ज़रूरत होती है। उसे सिर्फ़ सुरक्षा की गारंटी चाहिए होती है। इस बात की गारंटी कि बाद में उसे किसी तरह के दुष्परिणामों का सामना न करना पड़े। एक अच्छा सेल्समैन अपने ग्राहक को इस गारंटी की प्रतीति हमेशा कराता रहता है। तुम्हारे सेल्समैन का ग्राहक अपवाद नहीं है। 

तुम्हारा सेल्समैन जान रहा है कि वह लक्ष्य सिद्धि के नज़दीक पहुँच रहा है। वह ज़्यादा से ज़्यादा प्यार और सेक्स की बात करता है। वह उसे यौनिक शब्दावली में अपने उत्पाद के संकेत प्रेषित करने लगा है। रेस्त्रां में बैठकर जब भी उसके साथ कॉफ़ी पीता है तो मौक़ा देखकर उसका हाथ चूम लेता है। कभी-कभी उसे लड़की की ओर से भी मनचाही प्रतिक्रिया मिल जाती है। फिर एक दिन वह लड़की को अपने घर आमंत्रित करता है। वह लड़की को बता देता है कि उसकी पत्नी बच्चों के साथ अपने मायके गयी हुई है। यहाँ वह लड़की को टेलीविज़न पर प्रसारित हो रहे कंडोम और आई पिल्स के विज्ञापन दिखाता है। विज्ञापन पर्दे से परे खिसक जाते हैं लेकिन लड़की पर्दे की ओर देखती रहती है। वह जान लेता है कि उसने ग्राहक के दिमाग़ पर क़ब्ज़ा कर लिया है। 

एक सेल्समैन अपनी सफलता को पहले एक फंतासी में जीता है। सफलता से पहले का सुख वह एक उत्तेजक फंतासी में पाता है। फिर धीरे-धीरे अपनी इस फंतासी को अपनी ठोस उपलब्धि में बदल देता है। तुम्हारे इस सेल्समैन की फंतासी उस रात ठोस आकार ले लेती है जब वह उसे एक पर्यटन स्थल पर साथ चलने का उत्तेजक आमंत्रण देता है और वह इस आमंत्रण को स्वीकार कर लेती है। अब यह आकार उसके अपने घर से लेकर होटल के कमरों और नये-नये पर्यटन स्थलों तक फैल रहा है। वह अपना उत्पाद सफलता से बेच चुका है। वह अपनी सफलता पर गर्व से भरा हुआ है। उसके मुकुट में एक मोरपंख और लग गया है। 

मगर सावधान रहो, तुम्हारा ग्राहक कभी-कभी कुछ अधिक आधिपत्यशील हो सकता है। वह तुम्हारे माल के साथ-साथ तुम्हारे ऊपर भी अपना अधिकार आरोपित कर सकता है। वह तुम्हारे उत्पाद की चाह तुम्हारे अनुसार नहीं अपने अनुसार भी कर सकता है। चाह पूरी न होने पर ख़ुद परेशान हो सकता है और तुम्हें भी परेशान कर सकता है। उसका जुड़ाव और उसकी अपेक्षाएँ तुम्हारी अपेक्षाओं से कहीं ज़्यादा उग्र हो सकते हैं। तुम्हारी ग्राहकीय योजनाओं को बुरी तरह बाधित कर सकते हैं। तुम्हारे सेल्समैन की लड़की उससे शादी करने का मन बना सकती है। उस पर अपनी पत्नी से तलाक़ लेने का दबाव बना सकती है। लेकिन एक चतुर सेल्समैन बज़ारी की अनपेक्षित-अनचाही बाधाओं से निपटना अच्छी तरह जानता है। वह जानता है कि वह अपनी सारी ऊर्जा केवल एक ग्राहक पर व्यय नहीं कर सकता। केवल एक ग्राहक की संतुष्टि को अपनी संतुष्टि नहीं बना सकता। यह बाज़ार और बज़ारी के नियमों के विरुद्ध है। 

अगर एक ग्राहक सेल्समैन की सुविधानुसार उसका उत्पाद ख़रीदता रहता है तो चीज़ें चलती रहती हैं। लेकिन जब ग्राहक विक्रय पूर्व के वादों-आश्वासनों के अनुसार ही उत्पाद की आपूर्ति की सनकभरी ज़िद पर उतर आये तो कई नैतिक-वैधानिक समस्याओं के खड़े हो जाने का ख़तरा पैदा हो जाता है। एक अच्छा सेल्समैन इस ख़तरे के प्रति पहले से ही सचेत रहता है। वह इनके पैदा होने से पहले ही इनके ख़त्म होने का प्रबंध किये रहता है। 

तुम्हारे मैनेजर की प्रतिबद्धता के वादों की पकड़ ढीली हो रही है, जैसा कि वह नियोजित तरीक़े से कर रहा है। ग्राहक तक पहुँचने की उसकी आवृत्ति कम हो रही है। उसका प्यार का रैपर अपनी चमक खो रहा है। लड़की की बार-बार मुलाक़ात की ज़िद उसे उबाने लगी है। यहाँ पत्नी और बच्चे उसके बचाव के औज़ार बनते हैं। वह उनकी उपेक्षा कैसे कर सकता है? वह उनके प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में कटौती कैसे कर सकता है? यह भी उसकी विपणन प्रक्रिया का हिस्सा होता है। एक अच्छा सेल्समैन केवल एक अति दुराग्रहशील, अति भावुक ग्राहक के लिए अपनी समूची व्यवसाय व्यवस्था को कैसे भंग हो जाने दे सकता है? 

लड़की जब स्वयं को अकेला पाती है, जो उसने मैनेजर से पाया है उसे याद करती है और एक स्नेहिल स्पर्श तथा भरोसेयुक्त प्यार की उम्मीद करती है तब तक उसका सेल्समैन अपनी बज़ारी एक नये ग्राहक पर केंद्रित कर चुका होता है। वह प्यार जो लड़की ने अपनी भावुकता, अपनी संवेदना, अपना जुड़ाव, अपना भरोसा, अपने दिन-रात, अपना दिल-दिमाग़, और अपनी देह, सब कुछ देकर पाया था सिर्फ़ एक छलावा निकलता है। ग्राहक ने जो जिंस असली समझकर ख़रीदी थी वह नक़ली निकलती है। यह छल उसके भीतर गहरी निराशा भर रहा है, उसे तोड़ रहा है। उसे पश्चाताप की छटपटाहट अजगर-कुंडली की तरह घेरती रहती है। उसे ख़ुद की नज़रों में बेवुक़ूफ़ बनाती रहती है। 

वह जानती है कि किसी भी उपभोक्ता अदालत में जाने के लिए उसके पास कुछ नहीं है। वह जानती है कि ज़्यादातर शिकायत निवारण केंद्र जिंस उत्पादकों की शिकायतें ही सुनते हैं। कौशल और प्रतिभा का निवेश इस तरह किया गया है कि कोई बेवुक़ूफ़ ग्राहक किसी भी निर्माता-उत्पादक-विक्रेता को अनावश्यक तौर पर परेशान न कर सके। अगर किसी ग्राहक ने किसी जिंस को ख़रीदने के लिए कोई अनुबंध किया है और इस अनुबंध के कारण वह परेशान है तो यह उसकी ग़लती है। बेचने वाला तो बाज़ार में अपना माल किसी भी तरह से बेचता ही है, मगर ख़रीदार सोच समझकर नहीं ख़रीदता तो इसमें बेचने वाले का क्या दोष? ग्राहक ने अपने स्तर पर सावधानी क्यों नहीं बरती? 

लड़को, तुम बाज़ार में खड़े हो। बाज़ार को समझो, बाज़ार के क़ायदा-क़ानून को जानो, बाज़ार पर क़ब्ज़ा करो। ग्राहकों की चिंता मत करो। आख़िर बाज़ार की गिरफ़्त में आये किस ग्राहक की इतनी औक़ात है कि बाज़ार को नियंत्रित करने वालों का कुछ बिगाड़ सके! या उनके विरुद्ध कोई सावधानी ही बरत सके! 

1 टिप्पणियाँ

  • 20 Dec, 2023 09:47 PM

    धूर्त सेल्ज़्मन रूपी मैनेजर लोगों के मुँह पर उल्टे हाथ का तमाचा मारती हुई व उनके अधीन कार्यरत भोली-भाली युवतियों को सही मार्ग दर्शाती एक यथार्थवादी कहानी।

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