मतदान का पर्यटन

15-06-2022

मतदान का पर्यटन

विजय नगरकर (अंक: 207, जून द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

गोवर्धन रिज़ॉर्ट पर एक पार्टी अपने सभी सदस्यों को आलीशान लग्ज़री बस में भरकर लाया। 

कोई आरोप लगा रहा था कि उनको बंदी बना कर, हाइजैक करके लाया गया था। 

यह हमारे देश का लोकतंत्र है। यहाँ व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन पार्टी का आदेश सर्वोपरि है। पार्टी द्वारा जारी इस व्हिप का आँखें बंद करके पालन किया जाता है। 

मराठी के गज़लकार सुरेश भट एक जगह लिखते हैं—फुलांचा मामला होता, कळ्यांची काळजी होती

अर्थात्‌: 

“फूलों का मामला था, कलियों की हिफ़ाज़त का सवाल था।” 

विरोधी पार्टी अब पूरा गुलशन लूटने पर उतारू था। 

रात्रि भोज में मार्गदर्शन करते हुए पार्टी अध्यक्ष ने कहा, “हमने विकास कार्य हेतु सभी के लिए समान फ़ंड मंज़ूर किया है। अभी तक इस फ़ंड का ख़र्चा नहीं किया गया है। अब कल सभा में मत विभाजन होने जा रहा है। विरोधी पार्टी चाहे जितना घोड़ा बाज़ार करे, चाहे जितना जाल फेंके, उस जाल से दूर रहना है अन्यथा हमारा विकास फ़ंड उनके हाथ जाएगा।”

रात्रि भोज के बाद ख़ास तौर पर आयातित ब्रेन मैपिंग मशीन द्वारा सभी की ’अंतरात्मा की आवाज़’ की जाँच की गई। 

दूसरे दिन मतदान हुआ। पार्टी के ख़िलाफ़ मतदान हुआ। पार्टी की हार हो गई थी। 

पार्टी ने चिंतन शिविर का आयोजन किया। 

चिंतन शिविर में पार्टी सचिव ने रहस्य उद्घाटित किया, “अध्यक्ष महोदय, बहुत बड़ी भूल हुई, हमने जिस गोवर्धन रिज़ॉर्ट को बुक किया था वह विरोधी पार्टी के रिश्तेदार श्रीकृष्ण का रिज़ॉर्ट था। राजनीति के श्रीकृष्ण ने इस गोवर्धन पर आश्रय लेने वाले हमारे कुछ सदस्यों को जाल में फँसाया। विरोधी पार्टी के कुछ सदस्य वेटर का रूप धारण करके हमारे पार्टी के विधायक के रूम में सर्विस दे रहे थे।”

1 टिप्पणियाँ

  • 16 Jun, 2022 10:13 AM

    बहुत सही कटाक्ष किया है...

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