राजभाषा सहूलियतकार: पुस्तक की समीक्षा

01-12-2023

राजभाषा सहूलियतकार: पुस्तक की समीक्षा

विजय नगरकर (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

समीक्षित पुस्तक: राजभाषा सहूलियतकार लेखक: डॉ. वी वेंकटेश्वर राव
प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन प्रा.लि. 
जी 17, जगतपुरी, नई दिल्ली 110051
प्रथम प्रकाशन: 2023
मूल्य: ₹750/-
पृष्ठ संख्या: 503

डॉ. वी वेंकटेश्वर राव की पुस्तक ‘राजभाषा सहूलियतकार’ एक महत्त्वपूर्ण और उपयोगी पुस्तक है जो राजभाषा हिंदी के उपयोग और प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पुस्तक में राजभाषा हिंदी के क्षेत्रों को विस्तार से समझाया गया है। इसमें राजभाषा हिंदी के उपयोग के लिए विभिन्न दिशानिर्देश और सुझाव दिए गए हैं। 

इस पुस्तक में, डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव जी ने अपने 33 वर्षों के अनुभव के माध्यम से भारतीय रेल और राष्ट्रीयकृत सिंडिकेट बैंक के राजभाषा विशेषज्ञ पद पर काम करने के बारे में बताया है। वे यह भी दर्ज कराते हैं कि राजभाषा कार्यान्वयन में केंद्र सरकार और उसके अधीनस्थ कार्यालयों, उपक्रमों, स्वायत्त निकायों, बोडौं, राष्ट्रीयकृत बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, बीमा कंपनियों आदि में राजभाषा स्‍टाफ़ सदस्यों को समर्थ रूप में ले आने के लिए कितना महत्त्वपूर्ण काम किया गया है। 

उन्होंने सामाजिक परिवेश के बदलते माहौल में भाषा के प्रसारण की आवश्यकताओं के साथ-साथ राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी दिशानिर्देशों को भी महत्त्वपूर्ण बताया है। 

उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर यह भी मान्यता दी है कि राजभाषा स्‍टाफ़ सदस्यों को अद्यतन जानकारी से परिचित होने और स्वयं को अद्यतित रखने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। 

पुस्तक में दिए गए दिशानिर्देश और सुझाव बहुत उपयोगी हैं, और वे राजभाषा हिंदी के उपयोग में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। पुस्तक को सरल और सुबोध भाषा में लिखा गया है, जिससे इसे किसी भी स्तर के पाठक आसानी से समझ सकते हैं। 

यह पुस्तक राजभाषा केडर के सभी अनुवादकों, राजभाषा के लिए एक महत्त्वपूर्ण मैन्युअल है। 

इस पुस्तक में केंद्र सरकार की संघ की राजभाषा नीति, राजभाषा विभाग वार्षिक कार्यक्रम, सेवाकालीन हिंदी प्रशिक्षण एवं परीक्षाएँ, हिंदी कार्यशाला, राजभाषा अधिनियम राजभाषा नियम के पालन हेतु मूल पत्राचार में हिंदी का प्रयोग कैसे करें, हिंदी प्रगति रिपोर्ट कैसे भरें, राजभाषा कार्यान्वन समिति का गठन और उसे समिति का कार्य, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन एवं कार्य, हिंदी पुस्तकालय की आवश्यकता एवं अनुरक्षण, गृह पत्रिकाएँ एवं बुलेटिन, हिंदी दिवस समारोह का आयोजन, राजभाषा प्रदर्शनिया, आंतरिक वार्षिक राजभाषा अधिकारी सम्मेलन, राजभाषा शील्ड एवं पुरस्कार योजना की जानकारी, गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग के सर्वोच्च पुरस्कार एवं उनके नियम, राजभाषा जाँच बिंदु की व्यवस्था एवं दायित्व, संसदीय राजभाषा समिति का निरीक्षण और निरीक्षण प्रश्नावली कैसे भरें, हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु वर्तमान समय में उपलब्ध प्रौद्योगिकी की नई तकनीक का कैसे उपयोग करें, मोबाइल ऐप वेबसाइट आदि का किस तरह उपयोग करें आदि विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा की है। 

राजभाषा केडर के केंद्र सरकारी कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन के लिए शीर्ष नेतृत्व का समर्थन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। शीर्ष नेतृत्व को राजभाषा हिंदी के महत्त्व को समझना चाहिए और अपने कार्यालयों में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस दृष्टि से केंद्र सरकार के सभी कार्यालय प्रमुखों ने इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए। 

राजभाषा कार्यान्वयन का दूसरा महत्त्वपूर्ण अंग नए राजभाषा कर्मियों की ज़िम्मेदारी। मुख्य रूप से राजभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और सरकारी कार्यों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना है। इसके लिए उन्हें राजभाषा हिंदी का गहन अध्ययन और प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। इसके लिए उन्हें हिंदी व्याकरण, हिंदी लेखन, हिंदी भाषाविज्ञान, हिंदी साहित्य, राजभाषा नियम, अधिनियम आदि विषयों का अध्ययन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें राजभाषा हिंदी के आधुनिक प्रयोगों से भी अवगत होना चाहिए। 

सरकारी राजभाषा की जानकारी हमेशा आम जनता के लिए कठिन होती है। लेकिन राजभाषा केडर के साथियों के लिए नियम अधिनियम को समझना होगा। राजभाषा मनन, चिंतन और व्यावहारिक बातों से आसान हिंदी का प्रयोग करना होगा। 

पुस्तकों की पृष्ठ संख्या की अधिक मात्रा को देखते हुए पुस्तक मूल्य भी बढ़ गया है। सरकारी कार्यालयों की लाइब्रेरी हेतु यह मूल्य ज़्यादा नहीं है। आम पाठक इस पुस्तक की ई-आवृत्ति भी ख़रीद सकता है। 

यह पुस्तक प्रकाशन जगत के प्रतिष्ठित संस्थान ‘राधाकृष्ण प्रकाशन’ नई दिल्ली ने प्रकाशित की है। पुस्तक की साज-सज्जा अच्छी है। मुख पृष्ठ का चित्र साधारण है। मुखपृष्ठ आकर्षक और कलात्मक बनना चाहिए। पुस्तक के अंदर के पृष्ठ अच्छी गुणवत्ता के हैं और उन पर छपाई अच्छी है। पुस्तक के शीर्षक और उपशीर्षकों को स्पष्ट रूप से और आकर्षक तरीक़े से प्रस्तुत किया गया है। 

संसदीय राजभाषा निरीक्षण समिति के कार्यों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है।  

सहूलियतकार का मतलब है ‘सुगमता प्रदान करने वाला’। यह एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘सुविधा’ या ‘आराम’। सहूलियतकार वह व्यक्ति होता है जो दूसरों को सुगमता या आराम प्रदान करता है। वह ऐसा कर सकता है अपने कार्यों को सरल बनाकर, दूसरों की मदद करके, या किसी अन्य तरीक़े से। 

उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो अपने छात्रों को समझने में आसान पाठ्यक्रम बनाता है, वह एक सहूलियतकार है। एक डॉक्टर जो अपने रोगियों को उनके उपचार के बारे में स्पष्ट और सरल जानकारी प्रदान करता है, वह भी एक सहूलियतकार है। एक व्यक्ति जो किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति की मदद करता है, वह भी एक सहूलियतकार है। 

सहूलियतकार का एक सकारात्मक अर्थ है। यह वह व्यक्ति होता है जो दूसरों की मदद करता है और उनके जीवन को आसान बनाता है। 

कुल मिलाकर, डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव की पुस्तक ‘राजभाषा सहूलियतकार’ एक महत्त्वपूर्ण और उपयोगी पुस्तक है जो राजभाषा हिंदी के उपयोग और प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 

मैं इस पुस्तक को राजभाषा हिंदी के उपयोगकर्ताओं और प्रचारकों के लिए अत्यधिक अनुशंसा करता हूँ। 

— विजय नगरकर
पूर्व राजभाषा अधिकारी बीएसएनएल अहमदनगर महाराष्ट्र
vpnagarkar@gmail.com

1 टिप्पणियाँ

  • उपयोगी पुस्तक के लेखन के लिए डॉ. वेंकटेश्वर राव जी और अच्छी समीक्षा के लिए श्री विजय नागरकर जी और पुस्तक प्रकाशन के लिए राजकमल प्रकाशन तथा समीक्षा के प्रकाशन के लिए साहित्य कुञ्ज अभिनंदन व बधाई के पात्र हैं।

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