सत्कार की परिभाषा
विजय नगरकर
राजभाषा कार्य करते समय हिंदी अधिकारी को प्रायः सभा सूत्र संचालन का कार्य सौंपा जाता है। यह मान लिया जाता है कि हिंदी अधिकारी को भाषा ज्ञान होता है।
मा. तपन सिकदर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री थे, जब वे अहमद नगर ज़िले के पाथर्डी गाँव के नूतन दूरसंचार केंद्र के समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
मंत्री महोदय बांग्ला भाषिक थे, इसलिए मैंने उनका स्वागत बांग्ला भाषा में व्यक्त किया। मैं बांग्ला जानता नहीं था, लेकिन देवनागरी में पढ़ सकता था। इसलिए हमारे शहर के साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त बांग्ला मराठी अनुवादक श्री विलास गीते जी ने मुझे देवनागरी में बांग्ला भाषा में स्वागत पर कुछ लाइन लिखके प्रदान की थीं।
जब मैंने यह स्वागत भाषण बांग्ला में पढ़ा तो मंत्री महोदय बहुत ख़ुश हुए।
उन्होंने मुझे पास बुलाकर पूछा, “क्या आपने बांग्ला भाषा सीखी है? आपने अच्छा स्वागत किया, लेकिन एक बड़ी भूल कर दी है।”
यह सुनकर मेरे पाँवों तले की ज़मीन खिसक गई। हमारे सभी उच्च अधिकारी मेरे तरफ़ देखने लगे, जैसे मैंने कोई मूर्खता पूर्ण बात कही है।
मंत्री महोदय ने स्पष्ट किया, “डरिए मत, मैं आपकी शिकायत नहीं करूँगा क्योंकि महाराष्ट्र में “सत्कार” शब्द मंच पर हमेशा सुनता आया हूँ। लेकिन हमारी बांग्ला भाषा में सत्कार का अर्थ मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए प्रयुक्त होता है।”
यह सुनकर उपस्थित सभी हँसने लगे।
तब से मैंने सत्कार की जगह अभिनंदन शब्द चलाया।
यह घटना मुझे आज भी याद आती है। इसने मुझे सिखाया कि भाषा की बारीक़ियों को समझना कितना ज़रूरी है। एक ही शब्द का अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग अर्थ हो सकता है।
इस घटना से मुझे यह भी समझ आया कि किसी भी कार्यक्रम में बोलते समय हमें सावधान रहने की ज़रूरत है। क्योंकि एक छोटी सी ग़लती से बड़ी मुसीबत हो सकती है।