ज़िंदगी एक किताब है
रीता तिवारी 'रीत'ज़िंदगी एक किताब है,
हर दिन का उसमें हिसाब है।
प्रथम भाग जीवन का बचपन,
शरारतों से पूरित जीवन।
ना ज़िम्मेदारी है पास,
ना हिस्सेदारी का एहसास।
मस्त मौला बेहिसाब है,
ज़िंदगी एक किताब है।
दूजा भाग जवानी का पल,
अल्हड़ता है इसका लक्षण।
प्रणय वियोग का सुंदर अंकन,
प्रेम भरा इतिहास है।
ज़िंदगी एक किताब है।
भाग तीसरा वृद्धावस्था,
सबसे कठिन है यही अवस्था।
मुश्किल भरा कष्ट से पूरित,
सभी बंधन से आज़ाद है।
ज़िंदगी एक किताब है।
"रीत" कहे हर पन्ना भरना,
सत कर्मों से पूरित करना।
पापों से कलुषित ना करना,
क्योंकि देना वहाँ हिसाब है।
ज़िंदगी एक किताब है।
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