योग ॠषि
वेद भूषण त्रिपाठीयोग ॠषि की पुण्य भूमि
अब करती है आह्वान।
जग के प्राणी स्वस्थ रहेंगे
मिलेगा सबको मान।
कर्मशील नर-नारी होंगे
धर्मवीर व्रतधारी होंगे।
कोई दुःखी नहीं होगा
अब पावन ऋषि के धाम।
अबला सबला कहलाएगी
मिलेगा उसको मान।
ज्ञानी ध्यानी योगी जग में
पाएँगे सम्मान।
योग ऋषि की पुण्य भूमि
अब करती है आह्वान।
जग के प्राणी स्वस्थ रहेंगे
मिलेगा सबको मान।
1 टिप्पणियाँ
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Bahut sundar kavita hai
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