इब्तिदाई उल्फ़त हो तुम

01-05-2025

इब्तिदाई उल्फ़त हो तुम

अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’ (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: सरे_मुसद्दस मसकन मक़तो मनहोर
अरकान: फ़ाएलातुन मफ़ऊलुन फ़े
तक़्तीअ: 2122     222     2
 
इब्तिदाई उल्फ़त हो तुम
आख़िरी यक चाहत हो तुम
 
मेरी लंबी फ़ुर्क़त की जाँ
पुर सुकूं सी राहत हो तुम
 
जल हवा साँसे ओ धड़कन
ज़िंदगी की हाजत हो तुम
 
जो समा जाए ह्रदय मन में
गीता की वो आयत हो तुम
 
इस मोहब्बत के रस्तों की 
मोड़ मंज़िल साहत हो तुम
 
हुस्न के तेरे क्या कहने
चलती फिरती आफ़त हो तुम

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