फूल  खिलते हैं  बाग़ों  में  जब  दोस्तो

01-10-2021

फूल  खिलते हैं  बाग़ों  में  जब  दोस्तो

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 190, अक्टूबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

212    222    222    212
 
फूल  खिलते हैं  बाग़ों  में  जब  दोस्तो
लोग  मिलते  हैं  बाग़ों  में  सब  दोस्तो
 
जब    बहारे    वीरानी   को   छूने  लगे
तितलियाँ भी ना  दिखती हैं तब दोस्तो
 
ज़िंदगी का  हो  आलम  ग़म  के  वास्ते
काम आता  ना  है  फिर वो  रब दोस्तो
 
तुम रहो  सबसे मिल पर संभल के रहो
कौन होता है  कब किसका अब दोस्तो
 
आपके दिल में रह  कर  हम  बेघर  हुए
दिल लगा  कोई  बनता  है  कब  दोस्तो

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
कविता
नज़्म
कविता-मुक्तक
बाल साहित्य कविता
गीत-नवगीत
किशोर साहित्य कविता
किशोर हास्य व्यंग्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में