कोरोना क्यों?

01-04-2020

कोरोना क्यों?

डॉ. परमजीत ओबराय (अंक: 153, अप्रैल प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

विज्ञान गर वरदान है तो-
शाप भी है साथ,
देख समझ न आया मानव 
तुझे अपने समक्ष साक्षात्।


पूरे विश्व पर करना चाहा -
जिसने अपना अधिकार,
न जानता था  कि -
करना पड़ेगा, 
उसे स्वयं ही -
भविष्य में उससे ,
भयावह सरोकार।


मानव ने जब भी आगे बढ़- 
दंभ को अपनाया,
स्वयं ईश ने उसे उत्तर दिया,
जिसे बेचारा मानव समझ न पाया।


संसार रूपी कुटुंब है-
भगवन ने जिसे रचाया,
कुछ के कियों के  पाप-
दंड सब पा रहे।
गर उसके समक्ष टेक घुटने- 
स्वीकारें अपना पतित व्यवहार,
दया के  सागर,  दीनों के बंधु,
माधव- जब होंगे अपने साथ,
तभी निकलेगी फँसी यह (वायरस) नैया- 
संसार रूपी सागर से पार।


कुछ की उपेक्षा से, 
सबकी आँखों में आँसू क्यों ?
जाना तो है ही एक दिन 
फिर वायरस कोरोना ही बने कारण क्यों?

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