जीवंत प्रेम

15-08-2020

जीवंत प्रेम

रीता तिवारी 'रीत' (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

है प्रेम शब्द पूरे जग में, 
अस्तित्व उसी से जीवन में। 
दुनिया से हो मानवता है,
और माँ से हो तो ममता है। 
यदि प्रेम ना हो तो इस जग में, 
जीवन भी जीना मुश्किल है। 
है प्रेम शब्द जीवंत शब्द,
उससे  ही मानव जीवन है।
 
हो ईश्वर से प्रेम यदि, 
तो जीवन सुंदर होता है।
यदि प्रेम प्रिया का प्रियतम से तो, 
प्रेम प्रणय बन जाता है।
कहे रीत प्रीत का जीवन है, 
जीवंत प्रेम की परिभाषा। 
जीवन यदि प्रेम  बिना हो तो,
जीवन में होगी निराशा। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी
कविता
गीत-नवगीत
कविता-मुक्तक
बाल साहित्य कहानी
लघुकथा
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में