दिललगी हो  रही है  सितम  के लिए 

15-05-2021

दिललगी हो  रही है  सितम  के लिए 

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 181, मई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

212/ 212/ 212/212
 
दिललगी हो  रही है  सितम  के लिए 
ज़िंदगी  जी  रहे  हम  सनम के लिए
 
आपका नाम होंठों  को  प्यारा  लगा 
मर गये हम तो झूठी  क़सम के लिए
 
लोग  जीते हैं  अपने  ख़ुदा  के  लिए 
मर न जायें कहीं  हम  सनम के लिए
 
रातभर   जागकर  हम  तो   रोते  रहे
सो  गए  रातभर  वो  बलम  के  लिए
 
वो गए छोड़कर  हम को  तब ये लगा
फूल खिलते हैं आख़िर चमन के लिए
 

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