समय तू चलता चल
आत्माराम यादव ‘पीव’
समय तू चलता चल
समय तू चलता चल
किसने देखा आता है तू
किसने देखा जाता है तू।
समा सके न इन आँखों में,
यूँ दबे पाँव आता है तू॥
उतर रहा सूरज नभ से,
समय को अपलक देखे।
सागर तेरे पाँव पखारे,
धरती लिखती लेखे॥
तेरी सूरत तेरी मूरत,
दुनिया वाले न जान सकें।
जिन आँखों ने देखा नहीं,
वे ही तेरी पहचान करें॥
समय तू चलता चल,
समय तू चलता चल
जीवन सार्थक हुआ उसी का,
जिसने तुझको माना।
समय रहते जो सब काम किये,
जीते वही ज़माना॥
जहाँ आदमी ही आदमी को,
पहचानने की भूल करे।
समय ख़राब है उसका,
जीवन का लक्ष्य ये ही तय करें॥
समय बलवान बड़ा है,
नहीं बराबर उसके कोई खड़ा है।
‘पीव’ एक बार गुज़रे समय तो,
नहीं दुबारा वह खड़ा है॥
समय तू चलता चल,
समय तू चलता चल॥
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