मुझे अपने में समेट लो

01-10-2023

मुझे अपने में समेट लो

आत्‍माराम यादव ‘पीव’  (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मैं सिमटकर आना चाहता हूँ तेरे आँचल में
तू जगदीश्वर है, मुझे अपने में समेट लो। 
मेरे अंतस से उठने वाले हर विचार में
बस तू ही तो है, जिसे मैं पूजता हूँ। 
खुले आकाश में हाथों को फैलाकर
मैं एक तेरी ही, तो प्रार्थना करता हूँ। 
नहीं देखा तेरा रूप, न जानता हूँ नाम
आत्मा के भीतर प्रकाशित कुछ तो है। 
अनेक पगडंडियाँ तुझ तक पहुँचती है
नाविक सवार को तट तक पहुँचाता है। 
मैं स्वयं के अंतस में गोते लगाता रहा हूँ
पर अपनी ही थाह मैं नहीं पा सका हूँ। 
मैं मन से, आत्मा से सिमट कर आया हूँ
‘पीव’ की आत्मा को, तू अपने में समेट ले। 
आकाश में कभी दिखते हुए इन्द्रधनुष में
सबके मन के एक-एक रंग प्रतिबिम्बित है। 
एक-एक रंग है जिसके पास वह ऐसे एढ़ा है
मानों सात रंगों के इन्द्रधनुष के मालिक हो। 
लोग कुछ भी न करके तूझे पाना चाहते है
जैसे सिमटकर तू सबकी मुट्ठी में बैठा हो। 
मैं किंचित मात्र भी अपने में पूर्ण नहीं हूँ प्रभु
पीव की अपूर्णता पर, एक तेरी पूर्ण दृष्टि हो। 
मैं सिमटकर आना चाहता हूँ तेरे आँचल में
तू जगदीश्वर है, मुझे अपने में समेट लो॥

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