जाने क्यों मुझे देवता बनाते हैं? 

01-11-2023

जाने क्यों मुझे देवता बनाते हैं? 

आत्‍माराम यादव ‘पीव’  (अंक: 240, नवम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मैं उन्हें कैसे समझाऊँ 
कि मैं कोई देवता नहीं हूँ 
एक सीधा-सादा इंसान हूँ 
जो इंसानियत से जीना चाहता हूँ। 
पर वे मानते ही नहीं 
मुझे देवता की तरह पूजे जाते हैं, 
जाने क्यों मुझ इंसान को देवता बताते हैं? 
 
ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है 
जो हम जैसों के पीछे पड़ी है
कभी ढंग के इंसान तो न बन पाये 
पर ये देवता बनाने पर अड़ी है।
किन्तु मैं देवता नहीं बनना चाहता 
एक इंसान बनना चाहता हूँ! 
 
इनके लिये किसी को भी 
देवता बनाना कितना सरल है 
ये हर सीधे सादे इंसान को 
पहले पत्थर जड़ बनाते हैं। 
उजाड़कर दुनिया उसकी 
ये उसे नीरस बनाते हैं। 
 
जिन्हें ये देवता बनाते हैं 
अक़्सर वह इनके क़रीब होता है 
इनका अपना तो कम 
उनके अपनों का सपना होता है। 
दूसरों के सपनों को चुराकर 
ये अपनी हक़ीक़त बनाते हैं। 
 
प्रेम को जीने वालों को 
निजी स्वार्थ सिद्धि हेतु ही 
पीड़ा का ताज पहनाकर 
बेबसी की माला पहनाते हैं। 
उनकी आँखों से जुदाई के आँसू बहाकर 
उनके हृदय में गर्मी का सैलाव लाते हैं। 
दो प्रेम करने वाले इंसानों को 
ये पहले बिछुड़वाते है। 
प्रेम की लाश ढोने वाले हर इंसान को 
ये देवता बनाते हैं। 

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