अधूरी तमन्ना

01-12-2023

अधूरी तमन्ना

आत्‍माराम यादव ‘पीव’  (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मेरी एक तमन्ना है, 
मेरा नाम हो दुनिया में। 
सब मुझे पहचानें, 
मेरे काम ऐसे हों दुनिया में॥
 
कुछ थोड़ा मुझे जानते हैं, 
कुछ थोड़े से पहचानते हैं। 
कुछ अच्छा मुझे कहते हैं, 
ज़्यादा मुझे बुरा मानते हैं॥
 
मेरी ज़िन्दगी एक पहेली है, 
अजीब क़िस्सों की सहेली है। 
मेरा सच यहाँ स्वीकार नहीं है, 
झूठे फ़रेबियों की हार नहीं है॥
 
दुर्गुणों का नहीं मैं साथी हूँ, 
और न फ़रेब का हिमायती हूँ। 
‘पीव’ एक घर तक न बना पाया, 
मुसाफ़िर भी बना ख़ैराती हूँ॥
 
क्या शाम क्या सवेरा सब है तेरा, 
रातें लम्बी मेरी कटती ही नहीं। 
दर्द के समुन्दर में सुख ऐसा डूबा, 
ज़िन्दगी मेरी सँवरती ही नहीं॥

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