नर्मदा मैय्या तू होले होले बहना
आत्माराम यादव ‘पीव’
नर्मदा मैय्या तू होले होले बहना
होले होले बहती संग बासंती हवाएँ।
करती नहींं शोर हो नर्मदा मैय्या
होले होले बहना॥
गुपचुप रहती, यहाँ रात की रुनझुन
बज रही जैसे, माँ तेरे पायल की छमछम
कब आ जाती भोर गुपचुप।
ओ नर्मदा मैय्या होले होले बहना॥
धीमे धीमे ओ माँ, तू जब अपने नयन खोले
ऊषा सलोनी मुख पर तेरे, लालिमा अपनी ढोले।
हो जाता स्वर्णिम शृंगार, माँ तेरा धीरे धीरे
ओ नर्मदा मैय्या होले होले बहना॥
तेरे तट पर तेरी शरण में भक्त खड़े जयकार करे
जीवन पथ पर धूनी रमाये, साधू संत तेरा गुणगान करे
ले सबको अपनी शरण में, पार लगाना माँ धीरे धीरे।
ओ नर्मदा मैय्या होले होले बहना॥
उनींद से जागे लोग तेरे जल में करते हैं स्नान
तू भरदे उनकी झोली, आस लिए वे करते ख़ूब दान।
एक नज़र से सबको निहारे, नज़रें तेरी अनमोल
ओ नर्मदा मैय्या होले होले बहना॥
धीमे धीमे पैदल करते परिक्रमा माँ तेरी
‘पीव’ लम्बा दुर्गम मार्ग सरल हो कृपा होती तेरी
परिक्रमा तेरी हो जाये पूर्ण धीरे धीरे . . .
ओ नर्मदा मैय्या होले होले बहना॥