मुझको हँसना आता नहीं है
आत्माराम यादव ‘पीव’
मुझको हँसना आता नहीं है
दुःख में बीता सारा बचपन
जीवन मुझको भाता नहीं है।
मुझको हँसना आता नहीं है॥
छिछलेपन पर हँसने में तुम माहिर
भरमाकर काम निकालने में जगज़ाहिर
अपना लूँ तुम-सा व्यवहार भाता नहीं है।
मुझको हँसना आता नहीं है॥
जब भी जीवन में सुख की बूँदें आयीं
तुमने गहरे तक उनको सोख लिया
सुख की राहें बंद हों,
मिथक नया ईजाद किया
पक्के धुनी हो अलमस्त,
ये राग गाना आता नहीं है।
मुझको हँसना आता नहीं है॥
दुःख सहने का आदी हूँ
मैं कमज़ोर नहीं पड़ता हूँ
'पीव' ख़ुशी से दुख को गले लगाकर
मैं हरदम अपने पथ पर आगे बढ़ता हूँ
स्वप्न सँभालो सुनहले अपने,
मुझको जीना आता नहीं है।
मुझको हँसना आता नहीं है॥