मैं गीत नया गाता हूँ

15-10-2023

मैं गीत नया गाता हूँ

आत्‍माराम यादव ‘पीव’  (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

जिन गीतों से रसधार बहे
वह गीत नया मैं लिखता हूँ
दूर गगन पर तुम सुन लोगे
मन शब्दों से निर्झर करता हूँ।
 
नित गाती है जैसे रात यहाँ
सृष्टि भी सुन मुस्कुराती है। 
धरती गाये जब गीत यहाँ पर
सुन मेघ झूम कर चले आते हैं॥
 
गीतों में रूप रस गंध नहीं होता पर
गीतों में भी राग रागनियाँ समाये हैं
मैं आँखों से अश्रु दीप जलाता हूँ
मैं गीत नया नित गाता हूँ॥
 
नित सरिता गाती गीत सुनाती
गीत सागर उनके सुन लेता है।
हिमगिरि वनगिरि सदियों से गाते
सुनकर आकाश में तारे झिलमिलाते।
 
‘पीव’ सत्य जगत का मैं राही बनूँ
मैं प्राणों का नित अर्घ्य चढ़ाता हूँ॥
मैं गीत नया फिर गाता हूँ . . . 

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