आज का कवि

15-08-2023

आज का कवि

आत्‍माराम यादव ‘पीव’  (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

जागरण के गीत गा रहा है आज कवि
जन जन की व्यथायें सुना रहा है आज कवि
वेदनायें सुनाकर सबको रुला रहा है आज कवि
मरी हुई चेतनाओं को जिला रहा है आज कवि
इतिहास कविताओं का बना रहा है आज कवि। 
कवि के गान को सुनकर धरा भी बैचेन हो जाए
कवि के गीत सुनकर क्षितिज भी ठहाका लगाए
कवि के गान में बसे है गीता और रामायण
कवि के गान ही है धर्मशास्त्र ओर पर्यावरण
कवि के गान में है पक्षियों का कलरव और कोलाहल।
अकिंचन नारी के शृंगार गीत गा रहा है आज कवि
नेताओं की चरण वंदना से लजा रहा है आज कवि
साभार की कवितायें सुना कुछेक बदनाम हुआ आज कवि
‘पीव’ ऐसे वैसे सभी कवियों को नमन करता है आज ये कवि।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सांस्कृतिक आलेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
चिन्तन
वृत्तांत
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता
साहित्यिक आलेख
ऐतिहासिक
सामाजिक आलेख
सांस्कृतिक कथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में