ओ नभ के मँडराते बादल

01-09-2022

ओ नभ के मँडराते बादल

आशीष कुमार (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ओ नभ के मँडराते बादल
तनिक ठहर तनिक ठहर
 
अभी-अभी तो आया है तू
विशाल गगन पर छाया है तू
लौट ना जाना तुम अपने घर
नई नवेली दुलहन-सी शरमा कर
 
ओ नभ के मँडराते बादल
तनिक ठहर तनिक ठहर
 
मैं भी एक मयूर होता
देख कर तुमको बावला होता
पंख फैलाकर स्वागत करता
तुम्हें रिझाता नाच-नाच कर
 
ओ नभ के मँडराते बादल
तनिक ठहर तनिक ठहर
 
मैं भी प्यासा धरती भी प्यासी
तेरे बिन हैं नदियाँ भी प्यासी
बरस ज़रा तू थम-थम कर
नन्ही बूँदों की लड़ियाँ सी बनकर
 
ओ नभ के मँडराते बादल
तनिक ठहर तनिक ठहर
 
मैं भी नटखट बच्चा बनकर
ख़ुश होता काग़ज़ की कश्ती तैरा कर
बहते पानी में कूद-फाँद कर
पपीहे-कोयल की बोली में गाकर
 
ओ नभ के मँडराते बादल
तनिक ठहर तनिक ठहर

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