अहा बनारस
आशीष कुमारजब आँख खुले तो हो सुबह बनारस
जहाँ नज़र पड़े वो हो जगह बनारस
रंग जाता हूँ ख़ुशी ख़ुशी इसके रंग में मैं
झूम कर दिल कहता मेरा अहा बनारस
सबके सपने देता है सजा बनारस
दिल को भी कर देता है जवाँ बनारस
इसकी गलियों से जब होकर गुज़रूँ मैं
पुलकित मन फिर कहता अहा बनारस
माँ अन्नपूर्णा की महिमा करता बयाँ बनारस
जहाँ रग-रग बसे काशी विश्वनाथ वहाँ बनारस
भक्ति रस से जब हो जाऊँ सराबोर मैं
ज़ुबाँ पर बस एक ही बात अहा बनारस
गंगा की मौज की ख़ूबसूरत वजह बनारस
घाट पर डुबकियों का असली मज़ा बनारस
पैदा हो जाता जब लहरों पर तैरने का जुनून
तो फिर हर उमंग कह पड़ती अहा बनारस
अपनी ख़ुश्बू से तन-मन देता महका बनारस
दुनिया में मेरे लिए मेरा सारा जहाँ बनारस
बनारसी पान का बीड़ा जब लेता हूँ चबा
खुशमिज़ाजी में निकल पड़ता अहा बनारस
बनारसी साड़ियों का रखे दबदबा बनारस
कला एवं संस्कृति की अनूठी अदा बनारस
सभ्यता से भी प्राचीन ये मोक्षदायिनी नगरी
जहाँ आत्मा भी तृप्त हो कहती अहा बनारस
मीठी बोली के रस में घुला मिला बनारस
यूँ ही नहीं कहते इसे सभी राजा बनारस
जो भी आता यहाँ हो जाता बस इसी का
फिर जपता रहता वो सिर्फ़ अहा बनारस
गाथा गाऊँ इसकी बतौर गवाह बनारस
रहूँ सदा होकर मैं दिल से हमनवा बनारस
बरसता रहे आशीष मुझ पर भोलेनाथ का
प्रीति वंदन से दिल बस बोले अहा बनारस
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- 26 जनवरी अमर रहे
- अभी बादल ले रहा उबासी
- अशक्तता पर विजय
- अहा बनारस
- आईं देखीं रउवा हमार पटना
- आश्वासनों के दौर में
- ओ नभ के मँडराते बादल
- कठपुतली
- कन्या पूजन
- कस्तूरी मृग
- काश मैं भी एक गुलाब होता
- काश मैं भी एक टेडी बीयर होता
- कितना मुश्किल है पिता होना
- कुल्हाड़ी
- चली चली रे रेलगाड़ी
- जन्माष्टमी पर्व है आया
- जादूगर क़लम का
- ज्वालामुखी
- तुम ही तो हो
- तेरा हर लाल सरदार बने
- तेरे रूप अनेक हैं मैया
- धरती उगल रही है आग
- नए साल की सबको शुभ मंगल बधाई
- नव वर्ष का अभिनंदन
- नव वर्ष की शुभ घड़ी आई
- पतंग की उड़ान
- पत्थर के भगवान
- पितृ पक्ष में तर्पण
- बाल हनुमान
- मन की व्यथा
- माँ-पापा की लाड़ली बेटी हूँ
- मामला गरम है
- मुक्ति संघर्ष
- मेरा कौन है मैं किसे अपना कहूँ
- मेरा मन मंदिर भी शिवाला है
- मैं फेरीवाला हूँ साहिबान
- मैं भी सांता क्लॉज़
- मैं सुहागन तेरे कारण
- रावण दहन
- समता की अधिकारी 'नारी'
- स्वागत है तुम्हारा हे नववर्ष!
- हर पड़ाव बदला रंगशाला में
- हिंदी सचमुच महान है
- हे वीणापाणि माँ सरस्वती
- ग़रीब आदमी हूँ
- ज़िन्दगी एक पतंग
- किशोर साहित्य कविता
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- नज़्म
- कहानी
- हास्य-व्यंग्य कविता
- गीत-नवगीत
- कविता - हाइकु
- बाल साहित्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-