जादूगर क़लम का

01-01-2025

जादूगर क़लम का

आशीष कुमार (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बुलंदी छूता जैसे परिंदा कोई गगन का
खिलखिलाता फूल कोई बहारे चमन का
ख़्यालों के पुल बाँध लेता हूँ मैं भी
बयाँ करता हूँ हाल ए दिल और मन का
 
हर अदाकारी दिखाती मेरी क़लम
असर है इस पर उन्मुक्त वातावरण का
लिखता हूँ सबको रच रच कर
मैं एक अदना जादूगर हूँ क़लम का
 
कभी उड़ाता कबूतर अमन का
बिगुल फूँकता कभी मैं रण का
कभी चलती संधि की बातें
कभी वीरों के अटल प्रण का
 
विरह वेदना से असह्य रुदन का
कभी प्रेमी युगल के सहर्ष मिलन का
सहेजता हूँ हर भाव को अक्सर
मैं एक अदना जादूगर हूँ क़लम का
 
परी राजकुमारी के कोमल मन का
गुणगान राजकुमार के पराक्रम का
लगती सबको अपनी सी कहानी
पुट डालता हूँ जब अपनेपन का
 
लिखता पतझड़ के बेरुख़ेपन का
कभी सावन में प्रिय आगमन का
बसंत बहार सा प्यार भरा
मैं एक अदना जादूगर हूँ क़लम का
 
कभी स्मरण करूँ राधा रमण का
मोक्षदायक उनकी शरण का
भक्त की भक्ति का मान रखने वाले
करुणानिधि प्रभु के अवतरण का
 
अर्चन वंदन कमलनयन का
माँगूँ आशीष मैं भगवन का
उनकी कृपा से ही चलता
मैं एक अदना जादूगर हूँ क़लम का

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