कोटि-कोटि नमन बिहार
आशीष कुमार
नाम मिला बौद्ध विहार से
मगध साम्राज्य का आकार
हर युग के जीवंत साक्षी
कोटि-कोटि नमन बिहार
अतीत तुम्हारा गौरवशाली
कीर्ति तुम्हारी अपरंपार
महापुरुषों की भूमि हो तुम
वीरों की गिनती अपार
विश्व विजेता सिकंदर भी डर कर
कर ना सका था नदी पार
लौट गई थी सेना उसकी
सुनकर तुम्हारी विजय हुंकार
सम्राट अशोक की यश गाथा हो
बाबू कुँवर सिंह की ललकार
गाँधी जी की प्रथम सत्याग्रह भूमि
वैशाली का प्रथम गणतंत्र आकार
राजा जनक का संयम हो तुम
माँ जानकी का सौम्य संस्कार
वाल्मीकि की रामायण रचना
लव कुश की धनुष टंकार
जन्म लिया जहाँ महावीर ने
बुद्ध को मिला ज्ञान भंडार
गुरु गोविंद सिंह सा शूरवीर
दिया चाणक्य जैसा नीतिकार
आर्यभट्ट सा गणितज्ञ जिसने
शून्य का किया आविष्कार
महर्षि पाणिनि ने बताया व्याकरण
उत्तम भाषा प्रकृति विचार
गया जी का मुक्तिधाम जहाँ
बहे माँ गंगा की अविरल धार
बिस्मिल्लाह खाँ की मधुर शहनाई
समुद्र मंथन वाला पर्वत मंदार
भारत देश की हृदयस्थली
हमारे हृदय के तुम हो प्यार
ईश्वर बरसाये आशीष तुम पर
कोटि-कोटि नमन बिहार