निज़ाम फतेहपुरी–दोहा–001

01-10-2025

निज़ाम फतेहपुरी–दोहा–001

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

1
सबकी रक्षा जो करे, उसकी करे न कोय। 
बेबस देखूँ जब पुलिस, आँसू आवे मोय॥
 2
दोहा शे'र चोर बहुत, दुनिया में इंसान। 
औरों की बस नक़्ल कर, पढ़ पढ़ बाँटे ज्ञान॥
3
दोहा छंद सरल नहीं, लिखना सब की बात। 
हरि भक्ति में मग्न जो, पूछ न उसकी जात॥
4
क्या सच है क्या झूठ है, आया समझ न मोय। 
चलती गाड़ी सब चढ़े, बिगड़ी साथ न कोय॥
5
जीवन तो इक नाव है, हम सब हैं पतवार। 
उल्टा चल वो फँस गया, सीधा चल उस पार॥

—निज़ाम फतेहपुरी
 

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