हर तरफ़ ये मौत का जो ख़ौफ़ है छाया यहाँ

15-05-2020

हर तरफ़ ये मौत का जो ख़ौफ़ है छाया यहाँ

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 156, मई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

हर तरफ़ ये मौत का जो ख़ौफ़ है छाया यहाँ
ऐसा लगता है  किसी ने  ज़ुल्म  है ढाया यहाँ


तेरा मुजरिम हूँ मगर अब माफ करदे ऐ ख़ुदा
ज़िंदगी में जीते जी धोका बहुत खाया यहाँ


नाज़ था हमको बहुत विज्ञान पर अपने मगर
चाँद पर जाकर भी मरने से न बच पाया यहाँ


कोई ऐसा है नहीं  जो  बच  सके इस खेल से
मौत का सबको मज़ा चखना है जो आया यहाँ


तेरा जो था छोड़ कर वो भी चला तुझको गया
रोता क्यों है अब तो खाली रह गई काया यहाँ


जो नहीं डरते थे दुनिया मे किसी से भी कभी
आज अपना डर रहे वो  देख कर साया यहाँ


इस जहाँ का है निज़ाम आया है जो वो जाएगा
तेरा मेरा कुछ  नहीं  झूठी  है  सब माया यहाँ

– निज़ाम-फतेहपुरी

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