निज़ाम फतेहपुरी मुक्तक - 1
निज़ाम-फतेहपुरीमुक्तक - 221 2121 1221 212
फ़िक्रे सुख़न की धुन है कोई और ग़म नहीं।
लगता है ख़ौफ भी कहीं शायर तो हम नहीं॥
सुनते हैं जो निज़ाम को कहते हैं वो यही।
इसकी भी शायरी किसी शायर से कम नहीं॥
– निज़ाम फतेहपुरी
मुक्तक - 221 2121 1221 212
फ़िक्रे सुख़न की धुन है कोई और ग़म नहीं।
लगता है ख़ौफ भी कहीं शायर तो हम नहीं॥
सुनते हैं जो निज़ाम को कहते हैं वो यही।
इसकी भी शायरी किसी शायर से कम नहीं॥
– निज़ाम फतेहपुरी