अँखियों से तूने किए वो इशारे
निज़ाम-फतेहपुरीनिर्गुण- 221 221 221 22
अँखियों से तूने किए वो इशारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
जब से बलम तुमसे लागी लगनियाँ
लागे न नीक अब ये चंदा चंदनियाँ
तूने नए रंग हैं वो पसारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
यूँ ही गइल बीत कोरी उमरिया
काहे न लीना तु मोरी खबरिया
रो रो के हमने ये दिन हैं गुज़ारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
होगा मिलन कब बता दे सजनवा
लागे न तुमरे बिना मोर मनवा
दिल में बसे अब तुम्ही तुम हमारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
सब बह गये नीर सूखे नयनवा
दिन रात तुमरे हि गाऊँ भजनवा
यादों में तेरी हुए हम तुम्हारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
हमरियू निज़ाम अब है अइसन कहनियाँ
तुमरी हि धुन मा कटी ज़िंदगनियाँ
हर पल रहे हम तो तेरे सहारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
– निज़ाम-फतेहपुरी
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