धोखा चमक दमक से उजाले का खा गए

01-08-2021

धोखा चमक दमक से उजाले का खा गए

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ग़ज़ल- 221 2121 1221 212
अरकान-मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
 
धोखा चमक दमक से उजाले का खा गए
देखा जो  ग़ौर  से  तो  अंधेरे  में  आ  गए
 
दुनिया को मुंह दिखाने के क़ाबिल न रह सके
हमको हमारे शौक़  ही  ये दिन दिखा गए
 
तहज़ीब  के  ये  रंग   भरे  दौर  क्या  कहें
ख़ुद आज हमको अपनी नज़र से गिरा गए
 
नादान हम थे कितने की सब कुछ लुटा दिया
रुसवा हुए  तो  होश  ठिकाने  पे  आ गए
 
छोटी सी एक भूल की माफ़ी न मिल सकी
जो की न थी ख़ता वो सजा हम भी पा गए
 
अपनी कमी कहें  की  ये क़िस्मत ख़राब है
सब लोग हमको  अपना  निशाना बना गए
 
शिकवा करे निज़ाम  तो  किससे  करे यहाँ
जो हम सफ़र थे अपने वही ख़ुद मिटा गए

 

— निज़ाम-फतेहपुरी

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