बुढ़ापे में  उसका  नहीं  कोई सानी

01-07-2021

बुढ़ापे में  उसका  नहीं  कोई सानी

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
 
122    122    122    122
 
बुढ़ापे में  उसका  नहीं  कोई सानी
जो पीता है  ठर्रा  मिलाए  न पानी
 
चढ़ी ही नहीं जो  वो  उतरेगी कैसे
पिलाई है साक़ी  ने  बोतल पुरानी
 
जो पीते नहीं  हैं  वो  जीते हैं कैसे
जहाँ  मे  ग़मों  से  भरी  ज़िंदगानी
 
पता सबको है ज़िंदगी चार दिन की
है दौलत की फिर भी ये दुनिया दीवानी
 
न आने की चाहत न जाने का ग़म है
मुसाफ़िर हूँ यारों  सफ़र है कहानी
 
तुझे क़ब्र  में  है  अकेले  ही  जाना
वहाँ साथ  कोई  न  जाएगा  जानी
 
निज़ाम इस जहाँ में जियो मस्त रह कर
यहाँ एक दिन होना सब कुछ है फ़ानी

— निज़ाम-फतेहपुरी

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
गीतिका
कविता-मुक्तक
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में