कौन हो तुम चोर!
राघवेन्द्र पाण्डेय 'राघव'रात की निस्तब्धता में
कौन हो तुम चोर !
साँझ को जब खेत से आया
नमन के हेतु
एक अञ्जुल जल मिला बस
आचमन के हेतु
वही पीकर नींद का
आह्वान करता सो रहा हूँ;
क्या चुराना चाहते हो
‘भूख’ या फिर ‘भोर’!
झोपड़ी को लूटना ही
शान होती है महल की,
यह तुम्हारा धिक प्रदर्शन
है उसी की एक झलकी
अब तुम्हारी ही समझ पर
फैसला मैं छोड़ देता,
बोल इसको नाम क्या दूँ,
‘अनघ’ या ‘अनघोर’