हमें भारतवर्ष का उत्कर्ष चाहिए
राघवेन्द्र पाण्डेय 'राघव'स्वच्छ तन हो-स्वच्छ मन हो
स्वच्छ धरा और गगन हो
स्वच्छता चहुँ ओर ही इस वर्ष चाहिए
रोग न हो और न दुःख
स्वच्छता में निहित है सुख
देश के जन-जन में यह विमर्श चाहिए
स्वच्छता पहचान बने
आन-बान-शान बने
स्वच्छता की सोच अब सहर्ष चाहिए