हिंदी सम्मान में दोहे
अनुजीत 'इकबाल’हिंदी केवल भाषा नहीं, इसकी शक्ति पहचान।
माँ समान सम्मान करो, तब होगा उत्थान॥
हिंदू नहीं हिंदी बिना, यह है प्राण आधार।
हिंदी के मातृ रूप की, महिमा बड़ी अपार॥
हिंदी भाषा स्नेह की, ज्ञान विज्ञान की खान।
करना जीवन में सदा, हिंदी का सम्मान॥
भारत भूमि जन्म मिला, मिली हिंदी की खान।
अज्ञान तिमिर सब मिटे, हो गए गदगद प्राण॥
पंजाबी, हरियाणवी, भोजपुरी, सब हिंदी के रूप।
माँ समान गौरव मिले, हिंदी भाषा अनूप॥
आओ भारतवंशियों, सुनो हिंदी का ज्ञान।
भाषा ज्ञान जिसका जगा, उसका ही कल्याण॥
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