जो रहते हैं हर पल साँसों में

जो रहते हैं हर पल साँसों में  (रचनाकार - प्रदीप श्रीवास्तव)

1. जो रहते हैं हर पल साँसों में

जो रहते हैं हर पल साँसों में
प्रदीप श्रीवास्तव

 

 . . . हे विधि उनकी सहनशक्ति की सीमा की विराटता अपनी विराटता की सीमा के साथ रख कर देखो, कम नहीं विराट से भी विराट नज़र आएगी। 

 . . . उनकी बातों का निष्कर्ष यह भी निकलता था कि देश की स्वाधीनता के लिए क्रांतिकारियों को दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ रही थी, एक अँग्रेज़ों से दूसरी कांग्रेसियों से भी। क्योंकि कांग्रेस क्रांतिकारियों को अपना प्रतिद्वंद्वी समझ कर उनसे घृणा करती थी, अक्सर उनके विरुद्ध अँग्रेज़ों की मदद करती थी, जिसके चलते वो अँग्रेज़ों की गोलियों का शिकार हो जाते थे, गिरफ़्तार कर लिए जाते थे, उन्हें फाँसी या कालेपानी की सज़ा देकर समाप्त कर दिया जाता था। 

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