प्यार मेरे द्वार आया

04-02-2019

प्यार मेरे द्वार आया

राघवेन्द्र पाण्डेय 'राघव'

प्यार मेरे द्वार आया आज अपनापन लिए
कान में कुण्डल लगाए आँख में अंजन लिए

बावला बेताब मन लो नाचने-गाने चला
कुछ नहीं परवाह कितने राह में बंधन लिए

मैं अघा जाऊँ न पीकर जब तलक नज़र-ए–हया
सामने रहना खड़ी तुम साथ में सावन लिए

जब कभी जीवन सफ़र में हौसला छूटा, अभी तक
याद है हर बार आ जाना तेरा छाजन लिए

प्यार की मासूमियत पहचानते हैं बस वही जो
जी रहे हैं जिंदगी में प्यार का सा मन लिए

अब न कोई और ख़्वाहिश इश्क़ में बाकी रही
उम्र यूँ ही गुज़र जाये हाथ में दामन लिए

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य कविता
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
कविता
अनूदित कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में