यक़ीं जिसको ख़ुदा पर है कभी दुख में नहीं रोता

15-07-2020

यक़ीं जिसको ख़ुदा पर है कभी दुख में नहीं रोता

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

यक़ीं जिसको ख़ुदा पर है कभी दुख में नहीं रोता
वही बढ़ता है आगे  जो  जवानी  भर  नहीं सोता


नहाए कितना भी गीदड़  वो गीदड़ ही रहेगा बस
चमक रहती है जब की शेर अपना मुँह नहीं धोता


सफ़ेदी पर  न  जा  मेरी  अभी  ताकत  पुरानी है
बुढ़ापे में किसी का  दिल  कभी  बूढ़ा  नहीं होता


पड़ी हो आग पर गर  राख  तो  बस दूर ही रहना
कि अंगारा कभी अपनी तपिश जल्दी नहीं खोता


‘निज़ाम’ ऐसा करो कुछ काम दुनिया नाम ले तेरा
वही शायर है अच्छा जो  कभी नफ़रत नहीं बोता

– निज़ाम-फतेहपुरी

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